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Shashti Devi Strot: आज छठ के महापर्व के दौरान जरूर करें षष्ठी देवी स्तोत्र का पाठ

Shashti Devi Strot छठ का महापर्व शुरू हो चुका है। षष्ठी देवी शिशुओं की अधिष्ठात्री देवी हैं। मान्यता है कि जिन लोगों को संतान नहीं होती है अगर वो षष्ठी देवी की अराधना करें तो उन्हें संतान प्राप्ति होती है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Fri, 20 Nov 2020 07:20 AM (IST)
Shashti Devi Strot: छठ के महापर्व के दौरान जरूर करें षष्ठी देवी स्तोत्र का पाठ
Shashti Devi Strot: छठ का महापर्व शुरू हो चुका है। आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है। भगवती षष्ठी देवी शिशुओं की अधिष्ठात्री देवी हैं। मान्यता है कि जिन लोगों को संतान नहीं होती है अगर वो भगवती षष्ठी देवी की अराधना करें तो उन्हें संतान प्राप्ति होती है। साथ ही ही यह देवी संतान को दीर्घायु भी प्रदान करती हैं। षष्ठी देवी मूल प्रकृति के छठे अंश से यह प्रकट हुई थीं। इसी के चलते इनका नाम षष्ठी देवी पड़ा है। यह ब्रह्मा जी की मानसपुत्री हैं। इन्हें देवसेना के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें पुत्र देने वाली देवी भी कहा गया है।

मान्यता है कि यही देवी हैं जो बच्चों को स्वप्न में रुलाती, हंसाती, खिलाती और दुलार करती हैं। कहा जाता है कि बच्चे के जन्म के बाद जब छठी की पूजा की जाती है तो इस दौरान षष्ठी देवी की ही पूजा होती है। छठ पूजा की बात करें तो इस दौरान षष्ठी देवी स्तोत्र का पाठ भी करना चाहिए। आइए पढ़ते हैं षष्ठी देवी स्तोत्र।

षष्ठी देवी स्तोत्र:

नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शान्त्यै नमो नम:।

शुभायै देवसेनायै षष्ठी देव्यै नमो नम: ।।

वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नम:।

सुखदायै मोक्षदायै षष्ठी देव्यै नमो नम:।।

शक्ते: षष्ठांशरुपायै सिद्धायै च नमो नम:।

मायायै सिद्धयोगिन्यै षष्ठी देव्यै नमो नम:।।

पारायै पारदायै च षष्ठी देव्यै नमो नम:।

सारायै सारदायै च पारायै सर्व कर्मणाम।।

बालाधिष्ठात्री देव्यै च षष्ठी देव्यै नमो नम:।

कल्याणदायै कल्याण्यै फलदायै च कर्मणाम।

प्रत्यक्षायै च भक्तानां षष्ठी देव्यै नमो नम:।।

पूज्यायै स्कन्दकांतायै सर्वेषां सर्वकर्मसु।

देवरक्षणकारिण्यै षष्ठी देव्यै नमो नम:।।

शुद्ध सत्त्व स्वरुपायै वन्दितायै नृणां सदा।

हिंसा क्रोध वर्जितायै षष्ठी देव्यै नमो नम:।।

धनं देहि प्रियां देहि पुत्रं देहि सुरेश्वरि।

धर्मं देहि यशो देहि षष्ठी देव्यै नमो नम:।।

भूमिं देहि प्रजां देहि देहि विद्यां सुपूजिते।

कल्याणं च जयं देहि षष्ठी देव्यै नमो नम:।। 

डिसक्लेमर

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