Putrada Ekadashi Aarti And Mantra: व्रत के साथ आरती और मंत्र का करेंगे जाप, तो होती है संतान प्राप्ति
Shravan Putrada Ekadashi Vrat 2020 आज श्रावण पुत्रदा एकादशी है। यह एकादशी हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में आती है।
By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Thu, 30 Jul 2020 09:32 AM (IST)
Shravan Putrada Ekadashi Vrat 2020: आज श्रावण पुत्रदा एकादशी है। यह एकादशी हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में आती है। हालांकि, एकादशी चाहें कृष्ण पक्ष की हो या शुक्ल पक्ष की, महत्व दोनों का बराबर ही होता है। इस दिन निर्जला व्रत किया जाता है। साथ ही अगर व्यक्ति श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा सुनें तो मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कथा पढ़ने के लिए क्लिक करें यहां। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। साथ ही इस व्रत को करने से धन और आरोग्य की प्राप्ति भी होती है।
बता दें कि पूरे वर्ष में 24 एकादशी व्रत आते हैं। हिंदू धर्म में इन व्रतों का बहुत ज्यादा महत्व है। इन्हें बेहद पवित्र और पुण्यदायिनी माना गया है। मान्यता है कि अगर संतान किसी भी प्रकार के कष्ट में है तो यह व्रत करने से सारे कष्टों का निवारण होता है। साथ ही संतान की आयु भी लंबी हो जाती है। अगर व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ पुत्रदा एकादशी का व्रत करें और आरती करें तो उसे कई गायों के दान के बराबर का फल प्राप्त होता है। इससे व्यक्ति के सभी पापों का भी नाश हो जाता है। व्रत कथा पढ़ने के साथ-साथ एकादशी की आरती करनी भी आवश्यक है। इस आरती में सभी एकादशियों के नाम शामिल हैं।
आरती से पहले हम आपको संतान गोपाल मंत्र की जानकारी दे रहे हैं जिसका जाप अगर पूजा के बाद किया जाए तो संतान प्राप्ति होती है। जाप के बाद पति पत्नी को संयुक्त रूप से प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। इस दिन अगर दोनों मिलकर व्रत की सभी प्रक्रिया पूरी करेंगे तो बेहतर होगा। पढ़ें संतान गोपाल मंत्र:
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः
पढ़ें एकादशी की आरती:
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।