Shri Vishnu Chalisa: आज पुत्रदा एकादशी पर करें श्री विष्णु चालीसा का करें पाठ, मिलेगा संतान प्राप्ति का आशीर्वाद
Shri Vishnu Chalisa पंचांग गणना के अनुसार आज 13 जनवरी दिन गुरुवार को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत और पूजन किया जाएगा। इस दिन विष्णु चालीसा का पाठ करने से श्री हरि प्रसन्न हो कर संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं तथा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
By Jeetesh KumarEdited By: Updated: Thu, 13 Jan 2022 05:00 AM (IST)
Shri Vishnu Chalisa: एकादशी तिथि के दिन श्री हरि विष्णु के व्रत और पूजन का विधान है। पंचांग गणना के अनुसार 13 जनवरी, को पौष माह की एकादशी तिथि पड़ रही है। इस एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी भी कहा जाता है। इस साल एकादशी का व्रत गुरुवार के दिन पड़ रहा है जिस कारण इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन विधि पूर्वक श्री हरि विष्णु का पूजन करने से पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए ही इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
आज पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पूजन में श्री विष्णु चालीसा का पाठ करना शुभ होगा। मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी के दिन विष्णु चालीसा का पाठ करने से श्री हरि प्रसन्न हो कर संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं तथा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।श्री विष्णु चालीसा
॥ दोहा॥विष्णु सुनिए विनय
सेवक की चितलाय ।कीरत कुछ वर्णन करूं
दीजै ज्ञान बताय ॥चौपाईनमो विष्णु भगवान खरारी,कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥सुन्दर रूप मनोहर सूरत,सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।तन पर पीताम्बर अति सोहत,बैजन्ती माला मन मोहत ॥शंख चक्र कर गदा विराजे,देखत दैत्य असुर दल भाजे ।सत्य धर्म मद लोभ न गाजे,काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन,दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।सुख उपजाय कष्ट सब भंजन,दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥पाप काट भव सिन्धु उतारण,कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।करत अनेक रूप प्रभु धारण,केवल आप भक्ति के कारण ॥धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा,तब तुम रूप राम का धारा ।भार उतार असुर दल मारा,रावण आदिक को संहारा ॥आप वाराह रूप बनाया,
हिरण्याक्ष को मार गिराया ।धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया,चौदह रतनन को निकलाया ॥अमिलख असुरन द्वन्द मचाया,रूप मोहनी आप दिखाया ।देवन को अमृत पान कराया,असुरन को छवि से बहलाया ॥कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया,मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।शंकर का तुम फन्द छुड़ाया,भस्मासुर को रूप दिखाया ॥वेदन को जब असुर डुबाया,कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया,उसही कर से भस्म कराया ॥असुर जलन्धर अति बलदाई,शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।हार पार शिव सकल बनाई,कीन सती से छल खल जाई ॥सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी,बतलाई सब विपत कहानी ।तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी,वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥देखत तीन दनुज शैतानी,वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।हो स्पर्श धर्म क्षति मानी,
हना असुर उर शिव शैतानी ॥तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे,हिरणाकुश आदिक खल मारे ।गणिका और अजामिल तारे,बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥हरहु सकल संताप हमारे,कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे,दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥चाहता आपका सेवक दर्शन,करहु दया अपनी मधुसूदन ।जानूं नहीं योग्य जब पूजन,होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण,विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।करहुं आपका किस विधि पूजन,कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण,कौन भांति मैं करहु समर्पण ।सुर मुनि करत सदा सेवकाई,हर्षित रहत परम गति पाई ॥दीन दुखिन पर सदा सहाई,निज जन जान लेव अपनाई ।पाप दोष संताप नशाओ,भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥सुत सम्पति दे सुख उपजाओ,
निज चरनन का दास बनाओ ।निगम सदा ये विनय सुनावै,पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥डिसक्लेमर 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'