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Shri Yugal Kishore Aarti: बुधवार के दिन पूजा के समय करें ये आरती, सुख और सौभाग्य में होगी अपार वृद्धि

धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-उपासना करने से साधक को मृत्यु लोक में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही आय आयु धन और सौभाग्य में भी अपार वृद्धि होती है। इस दिन भगवान गणेश की भी आराधना की जाती है। अत साधक श्रद्धा भाव से अपने आराध्य भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 30 Aug 2023 07:00 AM (IST)
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Shri Yugal Kishore Aarti: बुधवार के दिन पूजा के समय करें ये आरती, सुख और सौभाग्य में होगी अपार वृद्धि
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Shri Yugal Kishore Aarti: सनातन धर्म में बुधवार का दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण संग राधा रानी की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-उपासना करने से साधक को मृत्यु लोक में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही आय, आयु, धन और सौभाग्य में भी अपार वृद्धि होती है। इस दिन भगवान गणेश की भी आराधना की जाती है। अत: साधक श्रद्धा भाव से अपने आराध्य भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करते हैं। अगर आप भी भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की कृपा-दृष्टि पाना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन पूजा के समय श्री युगल किशोर जी की आरती जरूर करें। साथ ही इन मंत्रों का जाप करें। इस आरती के पाठ से सभी प्रकार के दुख और संकट दुूर हो जाते हैं। आइए, आरती करते हैं-

युगल किशोर जी की आरती

आरती युगल किशोर की कीजै,

तन-मन-धन न्योछावर कीजै।

आरती युगल किशोर की कीजै,

तन-मन-धन, न्योछावर कीजै।

गौर श्याम सुख निरखत रीझै,

हरि को स्वरूप नयन भरी पीजै।

रवि शशि कोटि बदन की शोभा,

ताहि निरिख मेरो मन लोभा।

ओढ़े नील पीत पट सारी,

कुंज बिहारी गिरवर धारी।

फूलन की सेज फूलन की माला,

रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला।

मोर-मुकुट मुरली कर सोहे,

नटवर कला देखि मन मोहे।

कंचन थार कपूर की बाती,

हरि आए निर्मल भई छाती।

श्री पुरुषोत्तम गिरवरधारी,

आरती करें सकल ब्रजनारी।

नंदनंदन ब्रजभान किशोरी,

परमानंद स्वामी अविचल जोरी।

नंदनंदन ब्रजभान किशोरी,

परमानंद स्वामी अविचल जोरी।

आरती युगल किशोर की कीजै,

तन-मन-धन न्योछावर कीजै।

कृष्ण मंत्र

-ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।

- ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात।

- हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे,

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।

- ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा।

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '