Shukrawar Ke Mantra: शुक्रवार के दिन इन मंत्रों का करें जाप, धन से भर जाएगी आपकी तिजोरी
सनातन धर्म में शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से इंसान को जीवन में सुख-शांति मिलती है। साथ ही मां लक्ष्मी वैभव व्रत करने से व्यक्ति की मनचाही मनोकामना पूरी होती है। मान्यता है कि शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के विशेष मंत्रो का जाप करने से पूजा सफल होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shukrawar Ke Mantra: सनातन धर्म में शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से इंसान को जीवन में सुख-शांति मिलती है। साथ ही मां लक्ष्मी वैभव व्रत करने से व्यक्ति की मनचाही मनोकामना पूरी होती है। मान्यता है कि शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के विशेष मंत्रो का जाप करने से पूजा सफल होती है और जीवन में धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। चलिए जानते हैं शुक्रवार के दिन पूजा-अर्चना के समय किन मंत्रो का जाप करना लाभदायक होता है।
मां लक्ष्मी के मंत्र
1. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
2. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
3. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य
नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
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4. ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम
गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।
5. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
6.ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद
प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
7.ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
8.ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।।
9.आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।
सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।
10.ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
11.या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
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