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Sita Navami 2023: सीता नवमी पर्व आज, इस शुभ मुहूर्त में करें मां जानकी जी की उपासना

Sita Navami 2023 हिन्दू धर्म में सिरा नवमी पर्व का विशेष महत्व है। इस विशेष दिन माता जानकी और प्रभु श्री राम की विशेष उपासना करने से जीवन में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं और साधकों को विशेष लाभ मिलता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sat, 29 Apr 2023 09:56 AM (IST)
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Sita Navami 2023 सीता नवमी पर इस विधि से करें मां जानकी जी की उपासना।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Sita Navami 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन सीता नवमी पर्व मनाया जाता है। यह पर्व आज यानि 29 अप्रैल 2023, शनिवार (Sita Navami 2023 Date) के दिन मनाया जा रहा है। इस विशेष दिन पर मां सीता की विशेष उपासना करने से और उपवास का पालन करने से वैवाहिक जीवन में सुख एवं समृद्धि का आगमन होता है। बता दें कि माता सीता का जन्म मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र में हुआ था और रामनवमी पर्व के ठीक 1 महीने बाद सीता नवमी पर मनाई जाती है। आज के दिन पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं सीता नवमी पर पूजा का मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

सीता नवमी 2023 पूजा मुहूर्त (Sita Navami 2023 Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का प्रारंभ 28 अप्रैल 2023 को शाम 04:01 पर हो चुका है और इस तिथि का समापन 29 अप्रैल को शाम 06:22 पर होगा। वहीं आज माता सीता की पूजा का मुहूर्त सुबह 10:59 से दोपहर 01:38 तक रहेगा।

सीता नवमी 2023 महत्व (Sita Navami 2023 Significance)

सीता नवमी के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है और परिवार में सुख शांति के लिए मां जानकी की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस दिन मां जानकी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। पौराणिक मान्यता यह भी है कि मां सीता मां लक्ष्मी की स्वरूप हैं। इसलिए इस दिन मां सीता की पूजा करने से साधक को मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

सीता नवमी पूजा विधि (Sita Navami 2023 Puja Vidhi)

सीता नवमी के दिन शुभ मुहूर्त में मां जानकी की पूजा करने से और उन्हें सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करने से विशेष लाभ मिलता है। मान्यता यह भी है कि इस दिन सुहाग की सामग्री का दान करने से भी विशेष लाभ मिलता है। इसलिए आज सबसे पहले सुबह उठकर स्नान ध्यान करें और फिर सीता नवमी व्रत का संकल्प लें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में मां सीता एवं श्री राम जी की तस्वीर स्थापित करें और उन्हें फूल, अक्षत, चंदन, सिंदूर, धूप, दीप आदि चढाएं। फिर दूध से बनी मिठाई या लड्डू का भोग अर्पित करें और मां सीता व प्रभु श्री राम की आरती के साथ पूजा संपन्न करें।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।