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Sita Navami 2024: सीता नवमी पर इस तरह करें पूजा, अखंड सौभाग्य की होगी प्राप्ति

हर साल वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन सीता नवमी का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन माता सीता का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को सीता जयंती या जानकी नवमी के रूप में भी जाना जाता है। इस बार सीता नवमी 16 मई को मनाई जाएगी।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 11 May 2024 08:00 PM (IST)
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Sita Navami 2024: सीता नवमी पर इस तरह करें पूजा, अखंड सौभाग्य की होगी प्राप्ति
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sita Chalisa in Hindi: सनातन धर्म में सीता नवमी का अधिक महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन सीता नवमी का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार सीता नवमी 16 मई को है। इस पर्व को जानकी जयंती और सीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर माता सीता और भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करने से सभी तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। अगर आप भी अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद पाना चाहते है, तो सीता नवमी पर पूजा के दौरान सीता चालीसा का पाठ अवश्य करें। आइए, पढ़ते हैं सीता चालीसा।

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सीता चालीसा

॥ दोहा ॥

बन्दौ चरण सरोज निज जनक लली सुख धाम, राम प्रिय किरपा करें सुमिरौं आठों धाम ॥

कीरति गाथा जो पढ़ें सुधरैं सगरे काम, मन मन्दिर बासा करें दुःख भंजन सिया राम ॥

॥ चौपाई ॥

राम प्रिया रघुपति रघुराई बैदेही की कीरत गाई ॥

चरण कमल बन्दों सिर नाई, सिय सुरसरि सब पाप नसाई ॥

जनक दुलारी राघव प्यारी, भरत लखन शत्रुहन वारी ॥

दिव्या धरा सों उपजी सीता, मिथिलेश्वर भयो नेह अतीता ॥

सिया रूप भायो मनवा अति, रच्यो स्वयंवर जनक महीपति ॥

भारी शिव धनु खींचै जोई, सिय जयमाल साजिहैं सोई ॥

भूपति नरपति रावण संगा, नाहिं करि सके शिव धनु भंगा ॥

जनक निराश भए लखि कारन , जनम्यो नाहिं अवनिमोहि तारन ॥

यह सुन विश्वामित्र मुस्काए, राम लखन मुनि सीस नवाए ॥

आज्ञा पाई उठे रघुराई, इष्ट देव गुरु हियहिं मनाई ॥

जनक सुता गौरी सिर नावा, राम रूप उनके हिय भावा ॥

मारत पलक राम कर धनु लै, खंड खंड करि पटकिन भू पै ॥

जय जयकार हुई अति भारी, आनन्दित भए सबैं नर नारी ॥

सिय चली जयमाल सम्हाले, मुदित होय ग्रीवा में डाले ॥

मंगल बाज बजे चहुँ ओरा, परे राम संग सिया के फेरा ॥

लौटी बारात अवधपुर आई, तीनों मातु करैं नोराई ॥

कैकेई कनक भवन सिय दीन्हा, मातु सुमित्रा गोदहि लीन्हा ॥

कौशल्या सूत भेंट दियो सिय, हरख अपार हुए सीता हिय ॥

सब विधि बांटी बधाई, राजतिलक कई युक्ति सुनाई ॥

मंद मती मंथरा अडाइन, राम न भरत राजपद पाइन ॥

कैकेई कोप भवन मा गइली, वचन पति सों अपनेई गहिली ॥

चौदह बरस कोप बनवासा, भरत राजपद देहि दिलासा ॥

आज्ञा मानि चले रघुराई, संग जानकी लक्षमन भाई ॥

सिय श्री राम पथ पथ भटकैं , मृग मारीचि देखि मन अटकै ॥

राम गए माया मृग मारन, रावण साधु बन्यो सिय कारन ॥

भिक्षा कै मिस लै सिय भाग्यो, लंका जाई डरावन लाग्यो ॥

राम वियोग सों सिय अकुलानी, रावण सों कही कर्कश बानी ॥

हनुमान प्रभु लाए अंगूठी, सिय चूड़ामणि दिहिन अनूठी ॥

अष्ठसिद्धि नवनिधि वर पावा, महावीर सिय शीश नवावा ॥

सेतु बाँधी प्रभु लंका जीती, भक्त विभीषण सों करि प्रीती ॥

चढ़ि विमान सिय रघुपति आए, भरत भ्रात प्रभु चरण सुहाए ॥

अवध नरेश पाई राघव से, सिय महारानी देखि हिय हुलसे ॥

रजक बोल सुनी सिय बन भेजी, लखनलाल प्रभु बात सहेजी ॥

बाल्मीक मुनि आश्रय दीन्यो, लवकुश जन्म वहाँ पै लीन्हो ॥

विविध भाँती गुण शिक्षा दीन्हीं, दोनुह रामचरित रट लीन्ही ॥

लरिकल कै सुनि सुमधुर बानी,रामसिया सुत दुई पहिचानी ॥

भूलमानि सिय वापस लाए, राम जानकी सबहि सुहाए ॥

सती प्रमाणिकता केहि कारन, बसुंधरा सिय के हिय धारन ॥

अवनि सुता अवनी मां सोई, राम जानकी यही विधि खोई ॥

पतिव्रता मर्यादित माता, सीता सती नवावों माथा ॥

॥ दोहा ॥

जनकसुत अवनिधिया राम प्रिया लवमात,

चरणकमल जेहि उन बसै सीता सुमिरै प्रात ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।