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Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव की इस विधि से करें पूजा, जीवन सदैव रहेगा खुशहाल

धार्मिक मान्यता के अनुसार सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2024) पर भगवान शिव के संग मां पार्वती की विधिपूर्वक उपासना करने से साधक को सुख और शांति की प्राप्ति होती है और व्रती को अखंड सौभाग्य खुशहाली और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। चलिए जानते हैं सोमवती अमावस्या के अवसर पर किस तरह भगवान महादेव की पूजा करना फलदायी माना जाता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 02 Apr 2024 01:03 PM (IST)
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Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव की इस विधि से करें पूजा, जीवन सदैव रहेगा खुशहाल

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Somvati Amavasya 2024 Puja Vidhi: चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार चैत्र माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 08 अप्रैल को है। सोमवार को होने के कारण इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की विशेष पूजा और व्रत करने का विधान है। साथ ही पितरों का तर्पण किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव के संग मां पार्वती की विधिपूर्वक उपासना करने से साधक को सुख-शांति की प्राप्ति होती है और व्रती को अखंड सौभाग्य, खुशहाली और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। चलिए जानते हैं सोमवती अमावस्या के अवसर पर किस तरह भगवान महादेव की पूजा करना फलदायी माना जाता है।  

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सोमवती अमावस्या 2024 शुभ मुहूर्त (Somvati Amavasya 2024 Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 08 अप्रैल को सुबह 03 बजकर 21 मिनट से होगा और इस तिथि का समापन इसी दिन रात को 11 बजकर 50 मिनट पर होगा। ऐसे में सोमवती अमावस्या 08 अप्रैल को मनाई जाएगी।

सोमवती अमावस्या 2024 पूजा विधि (Somvati Amavasya 2024 Puja Vidhi)

सोमवती अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत भगवान शिव के ध्यान से करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अगर संभव हो तो इस दिन पवित्र नदी में स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके पश्चात भगवान शिव और मां पार्वती की दीपक जलाकर विधिपूर्वक पूजा करें। अब प्रभु की आरती करें और विशेष मंत्रो का जाप करें। इस दौरान सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करें। इस अवसर पर पिंड दान भी किया जाता जाता है। इसके बाद भगवान शिव को विशेष चीजों का भोग लगाएं और अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें।  

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डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'