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Lord Shiv: सोमवार की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ, मनचाहा मिलेगा वर, बरसेगी महादेव की कृपा

सनातन धर्म में सोमवार का दिन भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि सोमवार व्रत करने से जातक के विवाह में आ रही बाधा से छुटकारा मिलता है और जल्द विवाह के योग बनते हैं। साथ ही महादेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सोमवार की पूजा में शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 04 Nov 2024 08:20 AM (IST)
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Lord Shiv: ऐसे करें महादेव को प्रसन्न
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में सोमवार के दिन का बहुत ही महत्व है। इस शुभ दिन पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए व्रत भी किया जाता है। शिव पुराण के अनुसार, सोमवार के दिन सच्चे मन से उपासना करने से साधक की सभी मुरादें पूर्ण होती हैं। इस दिन शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करना उत्तम माना जाता है।

शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र (Rudrashtakam Stotram Lyrics in Hindi)

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं ।

विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं ।

चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।1।।

निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं ।

गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।।

करालं महाकालकालं कृपालं ।

गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ।।2।।

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 तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं ।

मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।।

स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा ।

लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।।3।।

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं ।

प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।।

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं ।

मान्यता है कि सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से सुख- सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।

प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ।।4।।

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं ।

अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।।

त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं ।

भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।।5।।

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी ।

सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।।

चिदानन्दसंदोह मोहापहारी ।

यदि आप मानसिक तनाव से छुटकारा पाना चाहते हैं, सोमवार के दिन विधिपूर्वक उपासना करने से चीनी, नमक और सफेद रंग के वस्त्र का दान करें। इससे मानसिक तनाव दूर होता है।

प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।6।।

न यावद् उमानाथपादारविन्दं ।

भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।

न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं ।

प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ।।7।।

न जानामि योगं जपं नैव पूजां ।

नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।।

जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं ।

प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ।।8।।

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।9।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।