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Somwar Mantra Shivashtak Stotram: प्रत्येक सोवमार के दिन भगवान भोलेनाथ को समर्पित शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ

Somwar Upay सोमवार का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान शिव अपने भक्तों की मनोकामना और अधिक ध्यान से सुनते हैं। सोमवार के दिन शिवाष्टक स्तोत्र पाठ करने से बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता और जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Sun, 16 Oct 2022 10:23 PM (IST)
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Somwar Mantra: सोमवार के दिन जरूर करें शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ।

नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Somwar Mantra Shivashtak Stotram: भगवान शिव को सृष्टि का पालनहार माना जाता है। शास्त्रों में भी यह वर्णित है कि भगवान शिव अपने भक्तों की प्रार्थना जल्दी सुनते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। ऐसे में उनसे प्रार्थना करने के लिए सप्ताह में सभी दिन उपयुक्त हैं। लेकिन सोमवार के दिन भोलेनाथ की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह दिन महादेव को अतिप्रिय है। ऐसे में उन्हें प्रसन्न करने के लिए कई स्तोत्र और श्लोक शास्त्रों में वर्णित हैं। लेकिन प्रत्येक सोमवार के दिन भोलेनाथ को समर्पित शिवाष्टक का पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

सोमवार को करें शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ

जय शिव शंकर, जय गंगाधर, करुणाकर करतार हरे।

जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि सुखसार हरे ।।

जय शशि शेखर, जय डमरूधर, जय जय प्रेमागर हरे।

जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित, अनन्त, अपार हरे।।

निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।

पारवती पति हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ।।

जय रामेश्वर, जय नागेश्वर, वैद्यनाथ, केदार हरे ।

मल्लिकार्जुन, सोमनाथ जय, महाकाल ओंकार हरे।।

त्रयम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर, भीमेश्वर, जगातार हरे।

काशी पति श्री विश्वनाथ जय, मंगलमय, अघहार हरे।।

नीलकण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युञ्जय अविकार हरे।

पारवती पति हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ।।

जय महेश, जय जय भवेश, जय आदिदेव, महादेव विभो।

किस मुख से हे गुणातीत, प्रभु तव अपार गुण वर्णन हो ।।

जय भवकारक तारक, हारक, पातक-दारक शिव शम्भो।

दीन दुःखहर, सर्व सुखाकर, प्रेम-सुधाधर दया करो।।

पार लगा दो भवसागर से, बन कर कर्णाधार हरे।

पारवती पति हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ।।

जय मनभावन, जय पतितपावन, शोक नशावन शिवशम्भो।

विपद विदारन, अधम उद्धारन, सत्य सनातन शिवशम्भो।।

सहज वचनहर, जलज नयनवर, धवल-वरन-तन शिवशम्भो ।

मदन-कदन-कर, पाप-हरन-हर, चरन-मनन-धन शिवशम्भो ।।

विवसन, विश्वरूप प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।

पारवती पति हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ।।

भोलानाथ कृपालु, दयामय, औढरदानी शिव योगी।

निमिष मात्र में देते हैं, नव निधि मनमानी शिव योगी।।

सरल हृदय, अति करुणा सागर, अकथ कहानी शिव योगी ।

भक्तो पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी शिव योगी ।।

स्वयं अकिंचन, जन मन रंजन, पर शिव परम उदार हरे।

पारवती पति हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे।।

आशुतोष ! इस मोहमायी निद्रा से मुझे जगा देना।

विषम वेदना से विषयों की मायाधीश छुड़ा देना ।।

रूप सुधा की एक बूंद से जीवन मुक्त बना देना।

दिव्य ज्ञान भण्डर युगल चरणों की लगन लगा देना ।।

एक बार इस मन मन्दिर में कीजे पद-संचार हरे।

पारवती पति हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे।।

दानी हो दो भिक्षा में, अपनी अनुपायनी भक्ति प्रभो।

शक्तिमान हो दो अविचल, निष्काम प्रेम की शक्ति प्रभो।।

त्यागी हो दो इस असार, संसार से पूर्ण विरक्ति प्रभो।

परमपिता हो दो तुम अपने, चरणों में अनुरक्ति प्रभो ।।

स्वामी हो निज सेवक की, सुन लेना करुण पुकार हरे।

पारवती पति हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे।।

तुम बिन ‘बेकल’ हूँ प्राणेश्वर, आ जाओ भगवन्त हरे।

चरण शरण की बांह गहो, हे उमारमण प्रियकन्त हरे।।

विरह व्यथित हूँ दीन दु:खी हूँ, दीनदायल अनन्त हरे।

आओ तुम मेरे हो जाओ, आ जाओ श्रीमन्त हरे।।

मेरी इस दयनीय दशा पर, कुछ तो करो विचार हरे।

पारवती पति हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे।।

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