Teej Puja And Aarti Vidhi: हरितालिका तीज पर करें शिव-पार्वती आराधना, जानें पूजा की सही विधि, मुहूर्त एवं मंत्र
Teej Puja And Aarti Vidhi भाद्रपद (भादों) शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को महिलाएं परिवार एवं पति की समुन्नति एवं आरोग्यता के लिए हरितालिका तीज का अखण्ड निर्जल व्रत रखती हैं। जानते हैं हरितालिका तीज व्रत पर बनने वाले दुर्लभ संयोग पूजा मुहूर्त पूजा विधि मंत्र आरती आदि के बारे में।
By Kartikey TiwariEdited By: Updated: Thu, 09 Sep 2021 06:29 AM (IST)
Teej Puja And Aarti Vidhi: हमारे यहां शास्त्र में भाद्रपद (भादों) शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को महिलाएं परिवार एवं पति की समुन्नति एवं आरोग्यता के लिए हरितालिका तीज का अखण्ड निर्जल व्रत रखती हैं। यह व्रत-पर्व इस वर्ष 09 सितंबर दिन गुरुवार को पड़ रहा है। तृतीया तिथि बुधवार की रात्रि (भोर में) 03:59 बजे लग रही है, जो गुरुवार 09 सितंबर की रात्रि 02:14 बजे तक रहेगी। उसके बाद चतुर्थी लग जाएगी। हस्त नक्षत्र में चतुर्थी युक्त तृतीया तिथि वैधव्य दोष नाशक, पारिवारिक समृद्धि एवं सन्तान सुख को प्रदान करने वाली होती है-ऐसी शास्त्रीय मान्यता है। ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं हरितालिका तीज व्रत पर बनने वाले दुर्लभ संयोग, पूजा मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, आरती आदि के बारे में।
हरितालिका तीज पर रवि योग का दुर्लभ संयोगदेवी पार्वती की घनघोर तपस्या से उत्पन्न यह पर्व भगवान शिव को प्रसन्न करने का उत्तम पर्व है। 14 वर्ष बाद इस वर्ष रवि योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में रवि योग को अत्यन्त प्रभावशाली माना गया है। योग प्रकरण में उल्लिखित है कि इस योग में अनेक अशुभ योगों के प्रभाव को सर्वथा समाप्त करने की अद्वितीय क्षमता है। अतः इस शुभ योग में पारिवारिक जीवन को सुखी-समृद्ध बनाने के लिए अखण्ड निर्जल व्रत करते हुए शिव-पार्वती के विधिवत पूजन का अति महत्व है।
हरितालिका तीज पूजा मुहूर्तइस व्रत पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 06:10 बजे से रात्रि 07:54 बजे तक सर्वार्थ सौभाग्य वृद्धि मुहूर्त है। शाम 05:14 बजे से सभी प्रकार के कष्ट-संकट एवं समस्त दोषों को समाप्त करने वाले रवि योग का दुर्लभ संयोग प्रारम्भ होगा। इस व्रत के प्रभाव से कुण्डली में होने वाले मांगलिक या कालसर्प जैसे अनेक दोषों का शिव-पार्वती की कृपा से स्वतः नाश हो जाता है।
हरितालिका तीज पूजा विधिसर्वप्रथम शिव की बालुका पार्थिव लिंग (प्रतिमा) बनाकर पार्वती जी के साथ सजे-सजाए मण्डप में स्थापित कर श्रृंगारपूर्वक धूप, दीप, पुष्प, स्नान-ध्यान नैवेद्य के साथ पंचोपचार पूजन कर कथा का श्रवण करना चाहिए। साथ ही ऋतुफल, मिष्ठान्न एवं सौभाग्य की सामग्री का यथा शक्ति दान करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। पार्वती जी को पीला सिन्दूर चढ़ाना चाहिए। दूसरे दिन प्रातः पूजित मूर्ति का विसर्जन कर पारण करना उत्तम होता है।
शास्त्रीय मान्यता है कि इस व्रत को निर्जल रहक़र अखण्ड व्रत करने वालों को जन्म जन्मान्तर तक वैधव्य दोष नहीं होता, बल्कि सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है। शिव पार्थिव का पूजन चन्दन, इत्र, जल, दूध, दही, घी, शहद, चीनी से करने के बाद बेलपत्र मदार-धतूरे का फूल चढ़ाना अति लाभकारी होता है।हरितालिका तीज की आरतीहरितालिका तीज पूजा के अंत में आप माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की आरती क्रमश: करें। आरती के लिए कपूर या फिर गाय के घी का दीपक प्रयोग करें, तो उत्तम रहेगा।
हरितालिका तीज पूजा मंत्रसिंदूर चढ़ाने का मंत्रसिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्।।पूजा के बाद प्रार्थना मंत्रदेहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्। पुत्र-पौत्रादि समृद्धि देहि मे परमेश्वरी।।डिस्क्लेमर ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''