Teej Vrat Puja History: किसने किया था सबसे पहले हरतालिका तीज पूजा? जानें इसका इतिहास
Teej Vrat Puja History अखंड सौभाग्य की कामना से किया जाने वाला व्रत हरतालिका तीज इस साल 09 सितंबर दिन गुरुवार को है। क्या आपको पता है कि इस कठिन व्रत को सबसे पहले किसने किया था? हरतालिका तीज व्रत का इतिहास क्या है?
By Kartikey TiwariEdited By: Updated: Thu, 09 Sep 2021 06:32 AM (IST)
Teej Vrat Puja History: अखंड सौभाग्य की कामना से किया जाने वाला व्रत हरतालिका तीज इस साल 09 सितंबर दिन गुरुवार को है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु और संतान के लिए माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं और निर्जला व्रत रखती हैं। जो विवाह योग्य कन्याएं हैं, वे सुयोग्य पति की कामना से यह कठिन व्रत रखती हैं। क्या आपको पता है कि इस कठिन व्रत को सबसे पहले किसने किया था? हरतालिका तीज व्रत का इतिहास क्या है? आइए जागरण अध्यात्म में जानते हैं इन सभी प्रश्नों का जवाब।
हरतालिका तीज का इतिहासहरतालिका तीज का कठिन व्रत सबसे पहले किसने किया था, इसको जानने के लिए आपको इसकी पौराणिक कथा के बारे में जानना होगा। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव वैराग्य ले लिये और साधना में लीन हो गए। वहीं, दूसरी ओर सती ने माता पार्वती के रूप में हिमालयराज की पुत्री के रूप में जन्म लिया।
समय के साथ जब वह विवाह योग्य हुईं तो नारद जी के सुझाव पर हिमालयराज ने पार्वती जी का विवाह विष्णु जी से करने का निर्णय लिया। लेकिन पार्वती जी को भगवान शिव प्रिय थे। वे शिव जी को पति स्वरुप में पाना चाहती थीं, तब उनकी सहेलियों ने उनका हरण कर हिमालय में छिपा दिया। जहां माता पार्वती ने शिव जी को पति स्वरुप में पाने के लिए कठोर तप किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने वैराग्य छोड़कर फिर से गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने का निर्णय लिया। शिव जी ने माता पार्वती को अर्धांगिनी के रुप में स्वीकार किया।
यह शुभ संयोग भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था, इसलिए इस तिथि को हरतालिका तीज मनाई जाने लगी। अविवाहित कन्याएं माता पार्वती की तरह ही मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए हरतालिका तीज व्रत रखने लगीं। यह व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है।
निर्जला है हरतालिका तीज व्रतमाता पार्वती ने शिव जी को प्राप्त करने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या कीं। इसे देखते हुए हरतालिका तीज व्रत भी कठिन है। इसमें बिना अन्न और जल ग्रहण किए पूरे एक दिन का व्रत रखना होता है। माता पार्वती ने सबसे पहले तप किया, जिसके बाद से हरतालिका तीज व्रत सुहागन महिलाएं और कुंवारी कंन्याएं करने लगीं।
हरतालिका का अर्थहरतालिका दो शब्दों से बना है। हर और तालिका। हर का अर्थ हरण और तालिका का अर्थ सखी है। यह व्रत तृतीया तिथि को रखते हैं, इसलिए इसका पूरा नाम हरतालिका तीज है।डिस्क्लेमर ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''