इस बार जन्माष्टमी कृष्ण जन्म के समय बनने वाले संयोगों के साथ विशेष फलदायी रहेगी
मंदिरों में जन्मोत्सव की तैयारियां की जा रही हैं। ज्योतिषाचार्यों अनुसार कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र में मनाना ही श्रेष्ठ माना जाता ।
By Preeti jhaEdited By: Updated: Mon, 22 Aug 2016 10:25 AM (IST)
कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इसबार 25 अगस्त को अष्टमी और उनके जन्म नक्षत्र रोहिणी के पावन संयोग में मनेगी। इस दिन अष्टमी उदया तिथि में और मध्य रात्रि जन्मोत्सव के समय रोहिणी नक्षत्र का संयोग रहेगा। भादो महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर गुरुवार 25 अगस्त को कृष्ण जन्मोत्सव की धूम रहेगी। विशेष संयोग के साथ भगवान का जन्मोत्सव मनेगा।
जन्माष्टमी तिथि 25 अगस्त को सूर्योदय के साथ ही अष्टमी तिथि का आगमन हो रहा है। अष्टमी तिथि 25 अगस्त को रात्रि 8.13 बजे तक रहेगी। इससे पूरे समय अष्टमी तिथि का प्रभाव रहेगा। इसके साथ ही मध्य रात्रि भगवान के जन्मोत्सव के समय रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग रहेगा। इससे कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म के समय बनने वाले संयोगों के साथ विशेष फलदायी रहेगी। 24 अगस्त बुधवार की रात्रि 10.13 बजे से अष्टमी तिथि का आगमन हो रहा है।
इस वजह से तिथि काल मानने वाले बुधवार को भी जन्मोत्सव मनाएंगे, लेकिन गुरुवार उदयाकाल की तिथि में व्रत जन्मोत्सव मनाना शास्त्र मत रहेगा। मंदिरों में जन्मोत्सव की तैयारियां की जा रही हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र में मनाना ही श्रेष्ठ माना जाता है।मंदिरों में होगी विशेष आराधना
कृष्ण जन्मोत्सव के दिन मंदिरों सहित घर-घर भगवान के झूले सजेंगे और विशेष आराधना होगी। मंदिरों में मोहक झांकी के साथ ही भगवान के दर्शन होंगे।देश भर के विभिन्न मंदिरों में मध्य रात्रि भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस अवसर पर भगवान को झूला झुलाने और उनकी एक झलक पाने के लिए भक्तों की कतार लगेगी। बाल-गोपाल की रहेगी धूम। कई शहरों के विभिन्न चौक-चौराहों पर दही-हांडी की प्रतियोगिता होगी। गीत-संगीत के साथ ही बाल-गोपालों की धूम रहेगी। बाजे-गाजे के साथ ही गोपालों की टोलियां निकलेंगी और दही-हांडी फोड़ प्रतियोगिता के साथ कृष्ण जन्मोत्सव देर रात्रि तक रहेगा।पढे. कृष्ण जन्माष्टमी से जुडी सारी खबरें