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इस बार इस योग में ही करें महाशिवरात्रि की पूजा, पूरी होगी कई मनोकामना

पौराणिक मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति वर्ष भर कोई व्रत उपवास नहीं रखता है और वह मात्र महाशिवरात्रि का व्रत रखता है तो उसे पूरे वर्ष के व्रतों का पुण्य प्राप्त हो जाता है।

By Preeti jhaEdited By: Updated: Fri, 24 Feb 2017 08:00 AM (IST)
इस बार इस योग में ही करें महाशिवरात्रि की पूजा, पूरी होगी कई मनोकामना
इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में महाशिवरात्रि 24 फरवरी को है। इस वर्ष सबसे खास बात यह है कि दोनों दिन सिद्ध योग पड़ रहे हैं। 24 फरवरी को सर्वार्थ सिद्ध योग तथा 25 फरवरी को सिद्ध योग पड़ रहा है। प्रदोष व्रत एवं महाशिवरात्रि पर द्वादश पूजन का विधान है। महानिशीथ काल का पूजन सर्वोत्तम माना जाता है। यहीं नहीं पौराणिक मान्यता भी है कि ज्योर्तिलिंग का प्राकट्य भी अर्द्धरात्रि यानी महाशिवरात्रि को माना गया है।

महाशिवरात्रि का पर्व इस बार कई विशेष संयोग लेकर आ रहा है, जो सभी के लिए शुभ फल देने वाले हैं।महाशिवरात्रि पर्व इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग भी इस दिन बन है जो सभी के लिए शुभ फलदायी रहेगा।

जलाभिषेक

महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक से ज्योर्तिलिंगों की पूजा का पूर्ण लाभ मिलता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार चार पहर की पूजा मनुष्य को परमतत्व प्रदान करती है। महाशिवरात्रि की महारात्रि को अहोरात्र भी कहा गया है। जो भक्तजन चार पहर की पूजा कर भगवान शिव की आराधना करते हैं उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

वास्तव में जलाभिषेक के साथ ही पूजा का क्रम प्रारम्भ हो जाता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान आशुतोष का जलाभिषेक कर दिया जाए तो निश्चय ही द्वादश ज्योर्तिलिंगों की पूजा और दर्शन का लाभ मिल जाता है। देश के अनेक नगरों, कस्बों और देहातों में हरकी पैड़ी का गंगा जल वर्ष में दो बार कांवड़ यात्री चढ़ाते हैं। श्रावणी में शिव चौदस तथा फाल्गुन में शिवरात्रि के दिन गंगा जल चढ़ाने का महत्व विभिन्न धर्मशास्त्रों में दर्शाया गया है। शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि ही भगवान आशुतोष का असली पर्व है। इस दिन शिव और सती एकाकार हुए थे। शिवरात्रि ही एक मात्र ऐसा दिन है जिस दिन शिव पर चढ़ाया गया जल सती को भी प्राप्त होता है।हिन्दू शैव ग्रंथों के मुताबिक शिव लीला ही सृष्टि, रक्षा और विनाश करने वाली है। वह अनादि, अनन्त हैं यानी उनका न जन्म होता है न अंत। वह साकार भी है और निराकार भी। इसलिए भगवान शिव कल्याणकारी हैं।

शिव को ऐसी शक्तियों और स्वरूप के कारण अनेक नामों से पुकारा और स्मरण किया जाता है। इन नामों में पशुपति भी प्रमुख है। शिव के इस नाम के पीछे का रहस्य शिव पुराण में बताया गया है।

धर्मग्रंथों के मुताबिक अनादि, अनंत, सर्वव्यापी भगवान शिव की भक्ति दिन और रात के मिलन की घड़ी यानी प्रदोष काल और अर्द्धरात्रि में सिद्धि और साधना के लिए बहुत ही शुभ व मंगलकारी बताई गई है। इसलिए महाशिवरात्रि हो या प्रदोष तिथि शिव भक्ति से सभी सांसारिक इच्छाओं को पूरा करने का अचूक काल मानी जाती है।

पूजा के शुभ मुहूर्त

इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6:30 बजे से अगले दिन 7:37 बजे तक रहेगा।

निशिथ काल पूजा- 24:08 से 24:59

पारण का समय- 06:54 से 15:24 (25 फरवरी)

चतुर्दशी तिथि आरंभ- 21:38 (24 फरवरी)

चतुर्दशी तिथि समाप्त- 21:20 (25 फरवरी)

ऐसे करें पूजा

शिव पूजन के दौरान चांदी, दूध, शक्कर, बिल्व पत्र, बेल फल, घी, चंदन, भस्म, आंकडे का फूल, धतूरा, भांग कपूर व श्वेत वस्त्र का उपयोग कर शिव आराधना करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। स्कंद पुराण के अनुसार इस कालखंड में साधना करना अनेक प्रकार के भयो से मुक्त कराता है। प्रदोषकाल में पुन: स्नान करके रुद्राक्ष की माला धारण करे पूर्व या उत्तर मुख करके शिव भगवान की आराधना करें। तीनों पहर में जल, गंध, पुष्प, बेलपत्र, धतूरे के फूल, गुलाबजल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से पूजन करें। ऐसा करने से शासन सत्ता, राजनीति मुकदमे आदि में सफलता मिलती है। मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।

दोनों दिन सिद्ध योग

इस वर्ष सबसे खास बात यह है कि दोनों दिन सिद्ध योग पड़ रहे हैं। 24 फरवरी को स्वार्थ सिद्ध योग तथा 25 फरवरी को सिद्ध योग पड़ रहा है। 24 फरवरी को चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होने के साथ ही भद्रा भी लग जाएगी लेकिन भद्रा पाताल लोक में होने के कारण महाभिषेक में कोई बाधा नहीं होगी बल्कि यह अत्यंत शुभ रहेगा। महाशिवरात्रि का व्रत कर रात्रि में ओम नम: शिवाय का जाप करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होगी।

पौराणिक मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति वर्ष भर कोई व्रत उपवास नहीं रखता है और वह मात्र महाशिवरात्रि का व्रत रखता है तो उसे पूरे वर्ष के व्रतों का पुण्य प्राप्त हो जाता है। इससे पूर्व 30 वर्ष पहले महाशिवरात्रि दो दिन मनाई गई थी। शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा अत्यंत फलदायी होती है। शिव रात्रि पर चार प्रहर की पूजा से सभी प्रकार की कामनाएं पूर्ण होती है।

दो दिन पडऩे वाले महाशिवरात्रि का पर्व इस बार स्वार्थ सिद्ध एवं सिद्ध योग पडऩे से खास होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार चतुर्दशी तिथि 24 फरवरी की रात्रि साढ़े नौ बजे प्रारंभ होगी। जो 25 फरवरी को रात्रि सवा नौ बजे तक रहेगी। महाशिवरात्रि का पर्व रात्रि व्यापिनी होने पर विशेष माना जाता है। ऐसे में चूंकि 25 फरवरी की रात्रि में चतुर्दशी तिथि न होने से 24 फरवरी को महाशिव रात्रि का पर्व शास्त्र सम्मत रहेगा। महाशिवरात्रि को अर्द्ध रात्रि के समय ब्रह्माजी के अंश से शिवलिंग का प्राकट्य हुआ था। इसलिए रात्रि व्यापिनी चतुर्दशी का अधिक महत्व होता है।

भगवान का महाभिषेक

भगवान को गाय के दूध से अभिषेक करने पर पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। जबकि गन्ने के रस से लक्ष्मी प्राप्ति, दही से पशु आदि की प्राप्ति, घी से असाध्य रोगों से मुक्ति, शर्करा मिश्रित जल से विद्या बुद्धि, कुश मिश्रित जल से रोगों की शांति, शहद से धन प्राप्ति, सरसों के तेल से महाभिषेक करने से शत्रु का शमन होता है। इस दिन व्रतादि रखकर शिवलिंग पर बेलपत्री, काला धतूरा चढ़ाने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही भगवान शिव के सम्मुख कुबेर मंत्र के जाप से भी धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।