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Skanda Sashti 2023: इस विधि से आज करें भगवान कार्तिकेय की पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना

Skanda Sashti 2023 पंचांग के अनुसार स्कंद षष्ठी तिथि 20 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 21 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। साधक दिन में किसी समय भगवान की पूजा-उपासना कर सकते हैं। धार्मिक मान्यता है कि भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 20 Sep 2023 08:00 AM (IST)
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Skanda Sashti 2023: इस विधि से आज करें भगवान कार्तिकेय की पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Skanda Shashti 2023: आज स्कंद षष्ठी है। यह पर्व हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा उपासना की जाती है। आज के दिन भगवान कार्तिकेय की माता जगत जननी आदिशक्ति की भी उपासना की जाती है। सनातन शास्त्रों में स्कंद माता के अग्रज पुत्र भगवान कार्तिकेय को स्कंद कहकर भी संबोधित किया गया है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में सुख और समृद्धि आती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से शिव परिवार संग भगवान कार्तिकेय की पूजा विधि विधान से करते हैं। अगर आप भी भगवान कार्तिकेय की कृपा-दृष्टि के भागी बनना चाहते हैं, तो विधिपूर्वक भगवान स्कंद की पूजा करें। आइए, पूजा विधि और महत्व जानते हैं-

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, स्कंद षष्ठी तिथि 20 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 21 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। अतः आज स्कंद षष्ठी मनाई जा रही है। साधक दिन में किसी समय भगवान की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

पूजा विधि

नित्य कर्मों से निवृत होकर आज गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर व्रत संकल्प लें। अगर विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं, तो व्रत रख सकते हैं। इसके उपरांत, नवीन वस्त्र धारण कर भगवान भास्कर को सर्वप्रथम जल अर्पित करें। अब पंचोपचार एवं षोडशोपचार कर भगवान कार्तिकेय की पूजा करें। इसके लिए पूजा गृह में चौकी पर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित कर फल, फूल, दूध, दही, श्रीखंड, घी, अक्षत, धूप, दीप, हल्दी, चंदन, इत्र आदि से करें। इस समय कार्तिकेय चालीसा का पाठ और मंत्र जाप अवश्य करें। अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि और शांति की कामना करें। संध्याकाल में आरती-अर्चना कर फलाहार करें।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'