Mangla Gauri Vrat Katha: आज है सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत, जानिए व्रत का महात्म और व्रत कथा
Mangla Gauri Vrat Katha आज 03 अगस्त को सावन का दूसरा मंगला गौरी का व्रत है। इस व्रत में विधि- विधान से पूजा करने के बाद व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। आइए जानते हैं मंगला गौरी व्रत की कथा...
By Jeetesh KumarEdited By: Updated: Tue, 03 Aug 2021 07:21 AM (IST)
Mangla Gauri Vrat Katha: सावन माह का सोमवार जहां भगवान शिव की पूजा को समर्पित है, वहीं मंगलवार को माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। सावन के प्रत्येक मंगलवार को माता पार्वती के मंगला गौरी रूप के लिए व्रत रखा जाता है। मंगला गौरी का व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं अखण्ड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति के लिए रखती हैं। आज 03 अगस्त को सावन का दूसरा मंगला गौरी का व्रत है। इस व्रत में विधि- विधान से मां मंगला गौरी की पूजा करने के बाद व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से मंगला गौरी की पूजा पूर्ण मानी जाती है। आइए जानते हैं मंगला गौरी व्रत की कथा...
मंगला गौरी व्रत की कथाएक समय की बात है, शहर में धर्मपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। उसका व्यापार अच्छा चल रहा था, धन-सम्पति की कोई कमी नहीं थी। लेकिन उसकी कोई संतान नहीं हो रही थी। इस कारण ही वो दुखी रहा करता था। अंततः ईश्वर की कृपा से उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। लेकिन वो अल्पआयु था। सोलह साल की उम्र एक दिन सांप काटने से उसकी मृत्यु हो गयी।
संयोगवश उसका विवाह जिस कन्या से हुआ था वो मंगला गौरी का व्रत रखती थी। मंगला गौरी का व्रत रखने के कारण उसे अखण्ड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त था। मतलब वो कभी विधवा नहीं हो सकती थी। मां मंगला गौरी के व्रत के प्रताप के कारण धरमपाल का पुत्र पुनः जीवित हो उठा। और उसकी कुण्डली का अल्प आयु योग भी समाप्त हो गया। धरमपाल की बहु आजीवन अखण्ड सौभाग्यवती रही और दोनों ने अपना दाम्पत्य जीवन सुख पूर्वक व्यतीत किया।
मंगला व्रत के दिन एक समय अन्न ग्रहण कर मां पार्वती का पूजन किया जाता है। इस दिन माता पार्वती को सुहाग का समान, लाल चुनरी, सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां आदि चढ़ानी चाहिए। पूरे मनोयोग से मंगला गौरी का व्रत रखने और पूजन करने से अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
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