Tulsi Chalisa: रोजाना करें तुलसी चालीसा का पाठ, घर में मां लक्ष्मी का होगा आगमन
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है। तुलसी की रोजाना विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है और जल अर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। साथ ही इंसान को जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है। मान्यता है कितुलसी चालीसा का पाठ करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Tulsi Chalisa: हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। इस पौधे की रोजाना विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है और जल अर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। साथ ही इंसान को जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है। यदि आप भी धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो रोजाना पूजा के समाय तुलसी चालीसा का पाठ और आरती अवश्य करें। आइए, तुलसी चालीसा का पाठ करें -
दोहा तुलसी चालीसा
श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।
करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।
छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।
नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।
क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।
यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।यह श्रीतुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।यह भी पढ़ें: Pradosh Vrat 2024: कब है मार्च माह का दूसरा प्रदोष व्रत? यहां जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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