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Tulsi Mata Ki Aarti: तुलसी पूजा में जरूर करें आरती व मंत्रों का जप, आसपास भी नहीं फटकेगी दरिद्रता

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत ही पूजनीय माना जाता है। लगभग हर हिंदू अनुयानी के घर में यह पौधा पाया जाता है जिसकी सुबह-शाम पूजा का भी विधान है। ऐसे में मां तुलसी की पूजा के दौरान उनकी आरती (Tulsi Mata Ki Aarti) व मंत्रों का जप भी जरूर करना चाहिए। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं तुलसी जी की आरती व मंत्र।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 17 Oct 2024 07:13 PM (IST)
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Tulsi Mata Ki Aarti तुलसी पूजा में जरूर करें आरती व मंत्रों का जप।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, जिस घर में हरा-भरा तुलसी का पौधा पाया जाता है, और रोजाना उनकी पूजा-अर्चना की जाती है, वहां सदैव मां लक्ष्मी का वास बना रहता है। ऐसे में पूजा के दौरान मां तुलसी की आरती और मंत्रों का जप भी जरूर करनी चाहिए। ऐसे करने से साधक को तुलसी जी की कृपा के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है। जिससे घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है।

(Tulsi Mata Ki Aarti)

जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।

सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।

मैय्या जय तुलसी माता।।

सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।

रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।

विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।

पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।

मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।

प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।

हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।

सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥

मैय्या जय तुलसी माता।।

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तुलसी जी के मंत्र -

महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

तुलसी गायत्री -

ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।

वृंदा देवी-अष्टक मंत्र

गाङ्गेयचाम्पेयतडिद्विनिन्दिरोचिःप्रवाहस्नपितात्मवृन्दे ।

बन्धूकबन्धुद्युतिदिव्यवासोवृन्दे नुमस्ते चरणारविन्दम् ॥

तुलसी स्तुति मंत्र -

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः

नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

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तुलसी नामाष्टक मंत्र -

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।