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Tulsi Puja Niyam: मनोकामना की पूर्ति करती हैं मां तुलसी, यहां जानें जल चढ़ाने के सही नियम

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार तुलसी के पौधे में धन की देवी लक्ष्मी जी का वास माना गया है। ऐसे में यदि रोजाना पूरे विधि-विधान के साथ तुलसी की पूजा-अर्चना की जाए तो इससे धन की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। ऐसे में आइए जानते हैं कि तुलसी में जल देने का सही नियम और समय क्या है ताकि आपको तुलसी पूजन का पूर्ण लाभ मिल सके।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Published: Thu, 20 Jun 2024 12:02 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2024 12:02 PM (IST)
Tulsi Puja Niyam तुलसी में जल चढ़ाने के सही नियम।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। तुलसी के पौधे को हिंदू धर्म में एक बहुत ही पवित्र पौधा माना गया है। धार्मिक दृष्टि से तो तुलसी का महत्व है ही, साथ ही वैज्ञानिक दृष्टि से भी तुलसी को काफी फायदेमंद माना गया है। कई घरों में देवी-देवताओं के साथ-साथ तुलसी की भी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी पर जल चढ़ाने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

इस विधि से चढ़ाएं जल

ज्योतिष शास्त्र में माना गया है कि सूर्योदय से पहले तुलसी में जल अर्पित करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ऐसे में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और उसके बाद अपना मुख पूर्व दिशा की ओर रखते हुए तुलसी में जल अर्पित करें। इस बात का भी ध्यान रखें कि जल चढ़ाने से पहले अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए।

करें इस मंत्र का जाप

तुलसी को जल देते समय 'ॐ सुभद्राय नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए। आप इस मंत्र का जाप 11 या 21 बार तक कर सकते हैं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा से आर्थिक तंगी दूर होती है। जल चढ़ाने के बाद तुलसी के समक्ष घी का दीपक जरूर जलाना चाहिए। इससे साधक के घर-परिवार पर मां लक्ष्मी की दया दृष्टि बनी रहती है।

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इन नियमों का भी रखें ध्यान

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी में एकादशी या रविवार के दिन जल नहीं चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही इस दिनों पर तुलसी के पत्ते तोड़ना भी वर्जित माना गया है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि एकादशी पर देवी तुलसी व्रत करती हैं। वहीं, तुलसी के पौधे के पास कभी कूड़ा या गंदगी नहीं होनी चाहिए, वरना इससे अशुभ परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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