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Tulsi Pujan Diwas 2022: आज है तुलसी पूजन दिवस, जानें महत्व और पूजा की विधि

Tulsi Pujan Diwas 2022 धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु जी और माता लक्ष्मी की कृपा पाने हेतु रविवार को छोड़कर अन्य सभी दिनों में तुलसी के पौधे को जल का अर्घ्य देना चाहिए। वहीं रोजाना संध्याकाल में घी के दिए जलाकर आरती करनी चाहिए।

By Pravin KumarEdited By: Updated: Sun, 25 Dec 2022 11:33 AM (IST)
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Tulsi Pujan Diwas 2022: आज है तुलसी पूजन दिवस, जानें महत्व और पूजा की विधि

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Tulsi Pujan Diwas 2022: सनातन धर्म में तुलसी का विशेष महत्व है। इसके लिए सनातन धर्म के अनुयायियों के घर पर रोजाना सुबह-शाम तुलसी के पौधे की पूजा उपासना की जाती है। वहीं, 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया जाता है। इस प्रकार आज तुलसी पूजन दिवस है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु जी और माता लक्ष्मी की कृपा पाने हेतु रविवार को छोड़कर अन्य सभी दिनों में तुलसी के पौधे को जल का अर्घ्य देना चाहिए। वहीं, रोजाना संध्याकाल में घी के दिए जलाकर आरती करनी चाहिए। रोजाना तुलसी मां की पूजा उपासना करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। जबकि, तुलसी पूजन दिवस पर तुलसी मां की पूजा उपासना करने से साधक के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। आइए, महत्व और तुलसी पूजा विधि जानते हैं-

तुलसी पूजा का महत्व

सनातन शास्त्रों में तुलसी पूजा के बारे में विस्तार से बताया गया है। तुलसी जी भगवान विष्णु जी की अर्धांगिनी हैं, जो माता लक्ष्मी की स्वरूप हैं। तुलसी मां की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। इसके अलावा, रोग व्याधि से भी साधक को मुक्ति मिलती है। इसके लिए रोजाना दैवीय काल से तुलसी जी की पूजा उपासनी की जाती है।

पूजा विधि

इस दिन गंगाजल युक्त पानी से स्नान ध्यान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद हथेली में जल रख आमचन कर व्रत संकल्प लें। अब तुलसी जी के साथ शालिग्राम पत्थर को प्राण प्रतिष्ठित कर जल का अर्घ्य दें। इसके बाद फल, फूल, धूप, दीप दूर्वा आदि चीजों से करें। अब तुलसी स्थल की परिक्रमा करें। आप अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार, तुलसी जी की परिक्रमा करें। आप कम से कम 7 बार परिक्रमा जरूर करें। इस दौरान निम्न मंत्र का उच्चारण अवश्य करें।

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

यः पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

पूजा के अंत में आरती करने के बाद विष्णु जी और मां तुलसी से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें। वहीं, संध्याकाल में तुलसी जी की आरती करें।

डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'