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Tulsi Vivah 2022: आज है तुलसी विवाह, करें तुलसी मंगलाष्टक मंत्र का पाठ, सभी बाधाओं से मिलेगी मुक्ति

Tulsi Vivah 2022 Mantra हिन्दू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। इस दिन विशेष मंत्रों के साथ माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह रचाया जाता है। इस दिन पूजा पाठ का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं तुलसी विवाह पर किन मंत्रों का करना चाहिए जाप।

By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Sat, 05 Nov 2022 09:16 AM (IST)
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Tulsi Vivah 2022: तुलसी विवाह के दिन जरूर करें इन मंत्रों का जाप।
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Tulsi Vivah 2022, Tulsi Mangalashtak Mantra: कार्तिक मास के द्वादशी तिथि के दिन भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह रचाया जाता है। हर्षोल्लास के साथ मनाएं जाने वाले इस पर्व का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। 

हिन्दू पंचांग में द्वादशी तिथि आज यानि 4 नवंबर से शुरू हो रही है। जिस कारण से कुछ जगहों पर तुलसी विवाह पर्व आज मनाया जा रहा है। साथ ही उदया तिथि 5 नवम्बर के दिन होने के कारण कई जगहों पर यह पर्व कल (Tulsi Vivah 2022 Date) मनाया जाएगा। इस दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। तुलसी विवाह के दिन शास्त्रों में बताए गए मंत्रों का पाठ करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। आइए जानते हैं-

तुलसी स्तुति मंत्र (Tulsi Puja Mantra)

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः

नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

तुलसी मंगलाष्टक मंत्र (Tulsi Mangalashtak Mantra)

ॐ श्री मत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः, चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः ।

प्रद्यम्नो नलकूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः, स्वामी शक्तिधरश्च लांगलधरः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ।।

गंगा गोमतिगोपतिगर्णपतिः, गोविन्दगोवधर्नौ, गीता गोमयगोरजौ गिरिसुता, गंगाधरो गौतमः ।

गायत्री गरुडो गदाधरगया, गम्भीरगोदावरी, गन्धवर्ग्रहगोपगोकुलधराः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ।।

नेत्राणां त्रितयं महत्पशुपतेः अग्नेस्तु पादत्रयं, तत्तद्विष्णुपदत्रयं त्रिभुवने, ख्यातं च रामत्रयम् ।

गंगावाहपथत्रयं सुविमलं, वेदत्रयं ब्राह्मणम्, संध्यानां त्रितयं द्विजैरभिमतं, कुवर्न्तु वो मंगलम् ।।

बाल्मीकिः सनकः सनन्दनमुनिः, व्यासोवसिष्ठो भृगुः, जाबालिजर्मदग्निरत्रिजनकौ, गर्गोऽ गिरा गौतमः ।

मान्धाता भरतो नृपश्च सगरो, धन्यो दिलीपो नलः, पुण्यो धमर्सुतो ययातिनहुषौ, कुवर्न्तु वो मंगलम् ।।

गौरी श्रीकुलदेवता च सुभगा, कद्रूसुपणार्शिवाः, सावित्री च सरस्वती च सुरभिः, सत्यव्रतारुन्धती ।

स्वाहा जाम्बवती च रुक्मभगिनी, दुःस्वप्नविध्वंसिनी, वेला चाम्बुनिधेः समीनमकरा, कुवर्न्तु वो मंगलम् ।।

गंगा सिन्धु सरस्वती च यमुना, गोदावरी नमर्दा, कावेरी सरयू महेन्द्रतनया, चमर्ण्वती वेदिका ।

शिप्रा वेत्रवती महासुरनदी, ख्याता च या गण्डकी, पूर्णाः पुण्यजलैः समुद्रसहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ।।

लक्ष्मीः कौस्तुभपारिजातकसुरा, धन्वन्तरिश्चन्द्रमा, गावः कामदुघाः सुरेश्वरगजो, रम्भादिदेवांगनाः ।

अश्वः सप्तमुखः सुधा हरिधनुः, शंखो विषं चाम्बुधे, रतनानीति चतुदर्श प्रतिदिनं, कुवर्न्तु वो मंगलम् ।।

ब्रह्मा वेदपतिः शिवः पशुपतिः, सूयोर् ग्रहाणां पतिः, शुक्रो देवपतिनर्लो नरपतिः, स्कन्दश्च सेनापतिः ।

विष्णुयर्ज्ञपतियर्मः पितृपतिः, तारापतिश्चन्द्रमा, इत्येते पतयस्सुपणर्सहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ।।

Pic Credits: Instagram/shivarchana_arsh

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