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Tulsi Vivah के दिन मां लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न, अन्न और धन से भर जाएंगे भंडार

सनातन शास्त्रों में कार्तिक माह का विशेष उल्लेख देखने को मिलता है। धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु एवं तुलसी माता परिणय सूत्र में बंधे थे। इसलिए इस दिन तुलसी विवाह (Tulsi Vivah 2024) किया जाता है। साथ ही तुलसी की पूजा की जाती है। उपासना करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 12 Nov 2024 06:18 PM (IST)
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इस आरती के बिना अधूरी है तुलसी पूजा
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, 13 नवंबर (Tulsi Vivah 2024 Date) को तुलसी विवाह है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। इस दिन तुलसी माता और भगवान विष्णु के रूप भगवान शालिग्राम की पूजा-अर्चना का विधान है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी पूजा के दौरान आरती न करने से जातक पूजा के पूर्ण फल की प्राप्ति से वंचित रहता है। आरती करने से जातक को अन्न और धन की कमी नहीं होती है। इसलिए तुलसी माता की आरती की करना बिलकुल भी न भूलें। आइए पढ़ते हैं तुलसी माता की आरती।

।।तुलसी माता की आरती।। (Maa Tulsi Ki Aarti)

जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।

सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।

मैय्या जय तुलसी माता।।

सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।

रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।

विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।

पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि की शुरुआत 12 नवबर को शाम 04 बजकर 02 मिनट पर हो गई है। वहीं, इस तथि का समापन दिन 13 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 01 मिनट पर होगा। ऐसे में इस बार तुलसी विवाह 13 नवंबर को है।

मैय्या जय तुलसी माता।।

लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।

मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।

प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।

हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।

मैय्या जय तुलसी माता।।

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जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।

सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥

मैय्या जय तुलसी माता।।

तुलसी मंत्र

1. ऊँ श्री त्रिपुराय विद्महे तुलसी पत्राय धीमहि तन्नो: तुलसी प्रचोदयात।।

2. ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे,

विष्णुप्रियायै च धीमहि,

तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।

3. मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी ।

नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते ।।

4. महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी ।

आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते ।

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः !

नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

5. तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया ।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया ।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।