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Marriage Mantra: शीघ्र विवाह के लिए गुरुवार के दिन करें इन मंत्रों का जप, मिलेगा मनचाहा जीवनसाथी

ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में गुरु कमजोर होने पर शादी में बाधा आती है। कुंडली में गरु मजबूत करने के लिए जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही गुरुवार का व्रत करें। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से अविवाहित जातक की शादी में आने वाली बाधा दूर हो जाती है। साथ ही जातक को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 26 Jun 2024 04:07 PM (IST)
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Marriage Mantra: अविवाहित लड़के करें इन मंत्रों का जप
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Marriage Mantra: ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 28 जून को विवाह और सुख के कारक शुक्र देव उदित होंगे। उदय होने के बाद शुक्र देव चार दिनों तक शिशुत्व रूप में रहेंगे। आसान शब्दों में कहें तो शुक्र देव 28 जून से लेकर 02 जलाई तक शिशुत्व अवस्था में रहेंगे। वहीं, 2 जुलाई को शुक्र देव यौवनत्व रूप में आएंगे। इस दिन से विवाह हेतु लग्न का मुहूर्त है। जुलाई माह में 02 जुलाई से लेकर 15 जुलाई तक विवाह के लिए लग्न मुहूर्त है। 15 जुलाई को भड़ली नवमी है। वहीं, 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। इस दिन से भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं। अत: देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होगा। इससे पहले 15 जुलाई तक विवाह लग्न मुहूर्त है। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में गुरु और शुक्र मजबूत होने पर जातक की शादी के योग बनते हैं। हालांकि, किसी दोष से पीड़ित होने पर विवाह में बाधा आती है। अगर आपकी शादी में भी बाधा आ रही है, तो गुरुवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

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अविवाहित लड़कियां करें इन मंत्रों का जप

1. ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि।

विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रलाभं च देहि मे ॥

2. ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंस नाय पुरुषार्थ

चतुस्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु-कुरु स्वाहा ।।

3. ॐ श्रीं वर प्रदाय श्री नमः

4.ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरूवे नम:

5. क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा

अविवाहित लड़के करें इन मंत्रों का जप

1. हे गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया ।|

तथा माँ कुरु कल्याणि कान्त कांता सुदुर्लभाम्।।

2. क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा

3. पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणिम्।

तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्।।

4. ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा

5. ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:

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डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।