Move to Jagran APP

Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Utpanna Ekadashi 2022 मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष पर पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व है। उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। जानिए उत्पन्ना एकादशी की तिथि मुहूर्त।

By Shivani SinghEdited By: Updated: Sun, 20 Nov 2022 10:41 AM (IST)
Hero Image
Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी कब? जानिए तिथि, मुहूर्त और महत्व

नई दिल्ली, Utpanna Ekadashi 2022: मार्गशीर्ष मास में एकादशी व्रत को बहुत शुभ माना जाता है। भगवान विष्णु को समर्पित इस व्रत के दिन विशेष पूजा की जाती है। बता दें कि इस साल का उत्पन्ना एकादशी का व्रत काफी खास होने वाला है। क्योंकि इस दिन एक नहीं बल्कि चार शुभ योग बन रहे हैं। इस शुभ योगों में भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी और हर कष्ट से छुटकारा मिलने के साथ-साथ पापों से मुक्ति मिल जाएगी। पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। इस बार उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर 2022 को पड़ रही है। जानिए उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।

उत्पन्ना एकादशी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त ( Utpanna Ekadashi 2022 Date And Shubh Muhurat)

उत्पन्ना एकादशी तिथि - 20 नवंबर 2022 रविवार

मार्गशीर्ष मास की एकादशी तिथि आरंभ- 19 नवंबर 2022 को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से शुरू

मार्गशीर्ष मास की एकादशी तिथि समाप्त - 20 नवम्बर 2022 को सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक

पारण का समय- 21 नवंबर को सुबह 06 बजकर 48 मिनट से 08 बजकर 56 मिनट तक

उत्पन्ना एकादशी 2022 पर शुभ योग (Auspicious Muhurat On Utpanna Ekadashi)

प्रीति योग- 20 नवंबर को सुबह से लेकर रात 11 बजकर 04 मिनट तक

आयुष्मान योग- 20 नवंबर को रात 11 बजकर 04 मिनट से 21 नवंबरको रात 09 बजकर 07 मिनट

सर्वार्थ सिद्धि योग- 20 नंवबर को सुबह 06 बजकर 47 मिनट से देर रात 12 बजकर 36 मिनट

अमृत सिद्धि योग- 20 नंवबर को सुबह 06 बजकर 47 मिनट से देर रात 12 बजकर 36 मिनट तक

क्यों कहते हैं इसे उत्पन्ना एकादशी ( Reason Behind Utpanna Ekadashi )

कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु और मुर नामक राक्षस के बीच भीषण युद्ध हो रहा था। युद्ध के बीच में भगवान विष्णु काफी थक गए , तो वह बद्रिकाश्रम में गुफा में जाकर विश्राम करने लगे। इसी बीच राक्षस मुर भगवान विष्णु का पीछा करता हुए उस आश्रम में आ गया और विश्राम करते हुए विष्णु जी को मारना चाहा तभी विष्णु जी के शरीर से एक देवी प्रकट हुई और उन्होंने राक्षस का वध कर दिया। यह घटना मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन हुई थी। देवी से भगवान विष्णु काफी प्रसन्न हुए और उनका नाम एकादशी रख दिया। श्री हरि के शरीर से उत्पन्न होने के कारण उनका नाम उत्पन्ना एकादशी रख दिया गया।

उत्पन्ना एकादशी 2022 पूजा विधि (Utpanna Ekadashi 2022 Puja Vidhi)

  • भगवान विष्णु के सामने जाकर हाथ में जल, पुष्प और अक्षत लेकर एकादशी व्रत रखने का संकल्प लें।
  • साफ सुथरे स्थान या फिर पूजा घर नें एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर अभिषेक करें।
  • पीले पुष्प, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, फल, गंध, मिठाई आदि अर्पित करते हुए श्रीहरि की पूजा करें।
  • पंचामृत और तुलसी का पत्ता जरूर चढ़ाएं।
  • इसके बाद एकादशी व्रत कथा का पाठ पढ़ें।
  • अंत में आरती करके भूल चूक के लिए क्षमा मांग लें।
  • दिनभर फलाहारी व्रत रखें। इसके साथ ही प्रसाद का वितरण कर दें।

उत्पन्ना एकादशी 2022 का महत्व (Signification of Utpanna Ekadashi)

शास्त्रों के अनुसार, इस दिन देवी प्रकट हुई। इसलिए इस दिन देवी एकादशी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन विधिवत रूप से पूजा करने के साथ व्रत रखने से तीर्थों का फल प्राप्त होता है। इसके साथ ही वह व्यक्ति मोह माया से मुक्त हो जाता है। इसके साथ ही मृत्यु के बाद विष्णु लोक को जाता है।

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।