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Vaibhav Lakshmi Vrat Vidhi: शुभ फलदायी है माता वैभव लक्ष्मी का व्रत, यहां जानें पूजन की संपूर्ण विधि और नियम

Vaibhav Lakshmi Vrat Vidhi धन की देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत से उत्तम कुछ नहीं माना गया है। माता को प्रसन्न करने के लिए 11 या 21 शुक्रवार के व्रत का संकल्प लिया जाता है। ऐसे में वैभव लक्ष्मी व्रत के विधि-विधान व नियम यहां जानें।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Sat, 24 Dec 2022 07:43 PM (IST)
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वैभव लक्ष्मी व्रत की संपूर्ण विधि के बारे में जानें।

नई दिल्ली, धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत सबसे उत्तम माना गया है। इस व्रत को माता लक्ष्मी के भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि जिस घर में वैभव लक्ष्मी की पूजा विधि-विधान से होती है, उस घर में सुख-संपत्ति का वास होता है। तो चलिए जानते हैं इस व्रत के नियम व लाभ के बारे में। साथ ही जानेंगे वैभव लक्ष्मी व्रत की संपूर्ण विधि के बारे में भी।

वैभव लक्ष्मी व्रत

वैभव लक्ष्मी के व्रत के लिए सबसे उत्तम दिन शुक्रवार को माना गया है। इसी दिन से व्रत की शुरुआत करनी चाहिए। व्रत के पहले दिन 11 या 21 शुक्रवार तक व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। आखिरी शुक्रवार वाले व्रत के दिन विधि-विधान के उद्यापन भी करना अनिवार्य है।

वैभव लक्ष्मी व्रत की विधि

व्रत के पहले शुक्रवार के दिन सुबह स्नान कर धुले वस्त्र पहनें। इसी के साथ 11 या 21 शुक्रवार तक व्रत करने का संकल्प लें।

व्रत के दिन आपको फलाहार पर ही रहना होगा

शाम के वक्त दोबारा स्नान करके पूर्व दिशा में माता की चौकी लगाएं। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित करें। साथ ही श्रीयंत्र भी स्थापित करें।

इसके बाद माता लक्ष्मी की मूर्ति पर मुट्ठी भर चावल चढ़ाएं। इसके बाद मूर्ति के सामने तांबे का कलश स्थापित करें। कलश के ऊपर चांदी या सोने का सिक्का भी रखें।

फूल, सिंदूर, रोली, मौली, चावल व प्रसाद के रूप में खीर माता को अर्पित करें। वैभव लक्ष्मी कथा का पाठ व मंत्र उच्चारित करें।

वैभव लक्ष्मी की पूजा के लिए मंत्र

* या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।

या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

* या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

वैभव लक्ष्मी व्रत के नियम

  • व्रत का पारण यानि व्रत खोलने के लिए माता को चढ़ाई गई खीर ग्रहण करें।
  • व्रत के दिन खट्टी चीजें न खाएं।
  • व्रत के पूजन में श्रीयंत्र का पूजन अवश्य करें।

डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'