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Vaibhav Laxmi Vrat Vidhi: शुक्रवार के दिन इस तरह करें वैभव लक्ष्मी की पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी

Vaibhav Laxmi Vrat Vidhi आज शुक्रवार है और आज का दिन माता लक्ष्मी दुर्गा मां संतोषी मां को समर्पित होता है। आज के दिन मां लक्ष्‍मी के विभिन्‍न स्‍वरूपों की पूजा की जाती है। कई लोग शुक्रवार के दिन वैभव लक्ष्‍मी की भी पूजा करते हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Fri, 29 Jan 2021 11:04 AM (IST)
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Vaibhav Laxmi Vrat Vidhi: शुक्रवार के दिन इस तरह करें वैभव लक्ष्मी की पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी
Vaibhav Laxmi Vrat Vidhi: आज शुक्रवार है और आज का दिन माता लक्ष्मी, दुर्गा मां, संतोषी मां को समर्पित होता है। आज के दिन मां लक्ष्‍मी के विभिन्‍न स्‍वरूपों की पूजा की जाती है। कई लोग शुक्रवार के दिन वैभव लक्ष्‍मी की भी पूजा करते हैं। मान्यता है कि वैभव लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। कहा जाता है कि अगर लंबे समय के बाद भी किए जा रहे प्रयासों से काम नहीं बन पा रहा है तो व्यक्ति को वैभव लक्ष्मी का व्रत जरूर करना चाहिए। आइए जानते हैं कैसे करें वैभव लक्ष्मी का व्रत।

इस तरह करें वैभव लक्ष्मी का व्रत:

1. शुक्रवार के दिन महिलाओं को ब्रह्ममुहूर्त में उठ जाना चाहिए। सभी नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लें।

2. इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें और मंदिर की साफ-सफाई कर लें।

3. मां लक्ष्‍मी का ध्‍यान करें और व्रत का संकल्प लें।

4. पूरे दिन फलाहार कर आप व्रत कर सकते हैं। व्रत पूरा होने के बाद शाम के समय अन्न ग्रहण करना चाहिए। 

5. पूरे दिन उपवास के बाद शाम के समय फिर से स्नान करें। शाम के पूजा करने के लिए पूर्व दिशा की तरफ मुंह कर बैठ जाएं।

6. इसके बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर वैभव लक्ष्‍मी की तस्‍वीर या मूर्ति स्‍थापित करें।

7. मूर्ति के पीछे या बगल में श्रीयंत्र रखें।

8. मूर्ति या तस्वीर के सामने एक मुट्ठी भकर चावल का ढेर रख दें।

9. इस पर पानी से भरा हुआ तांबे का कलश रख दें।

कलश के ऊपर एक छोटी कटोरी रखें। इसमें सोने या चांदी का कोई आभूषण रख दें।

10. वैभव लक्ष्‍मी के समक्ष लाल चंदन, गंध, लाल वस्‍त्र, लाल फूल अवश्य रखें।

11. प्रसाद में गाय से दूध से निर्मित चावल की खीर बनाएं। अगर आप खीर नहीं बना पाए हैं तो सफेद मिठाई का भोग भी लगा दें।

12. पूजा के बाद लक्ष्‍मी स्‍तवन का पाठ करें। साथ ही मां के निम्न मंत्र का जाप भी करें।

या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।

या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

13. इस दौरान श्रीयंत्र की भी पूजा करनी चाहिए। इसके बाद व्रत कथा पढ़ें। फिर गोघृत दीपक से मां की आरती करें।

14. व्रत कथा करने के बाद महिलाओं को कम से कम 7 बार अपनी मनोकामना को मन में दोहराना होगा। मां लक्ष्मी का ध्यान कर प्रसाद ग्रहण करें। घर के मुख्‍य द्वार पर घी का एक दीपक जला दें।  

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '