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Vaikuntha Chaturdashi 2022: बैकुंठ चतुर्दशी व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

Vaikuntha Chaturdashi 2022 कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि यानी बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव ने श्री हरि विष्णु को सुदर्शन चक्र उपहार में दिया था। इस दिन पूजा पाठ करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जानिए बैकुंठ चतुर्दशी की तिथि शुभ मुहूर्त औऱ पूजा विधि।

By Shivani SinghEdited By: Updated: Sun, 06 Nov 2022 09:48 AM (IST)
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Vaikuntha Chaturdashi 2022: बैकुंठ चतुर्दशी कब? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

नई दिल्ली, Vaikuntha Chaturdashi 2022: कार्तिक मास में कई व्रत रखे जाते हैं, जिनका अपना-अपना महत्व है। इन्हीं में से एक कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन बैकुंठ चतुर्दशी व्रत रखा जाता है। इस व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एक ऐसा पर्व है जिसमें भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की विधिवत पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन पूजा करने के लिए बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। बैकुंठ एकादशी वाराणसी, ऋषिकेश, दया , महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। जानिए बैकुंठ चतुर्दशी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

बैकुंठ चतुर्दशी 2022 तिथि

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 6 नवंबर 2022 रविवार को शाम 4 बजकर 28 मिनट से शुरू

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि समाप्त: 7 नवंबर 2022 सोमवार को शाम 4 बजकर 15 मिनट तक

तिथि- 6 नवंबर 2022, रविवार

बैकुंठ चतुर्दशी 2022 शुभ मुहूर्त

निशिताकाल पूजा मुहूर्त- 06 नवंबर 2022 को रात 11 बजकर 39 मिनट से 07 नवंबर 2022 को सुबह 12 बजकर 37 मिनट तक

सुबह पूजा का मुहूर्त - 06 नवंबर 2022 को सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक

बैकुंठ चतुर्दशी 2022 महत्व

हिंदू धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी का काफी अधिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ शिव जी की पूजा की जाती है। शिव पुराण के अनुसार, कार्तिक चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु ने विधिवत तरीके से शिव जी की पूजा करने केलिए वाराणसी गए थे। जहां पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए श्री हरि ने एक हजार कमल अर्पित किए थे। लेकिन कमल चढ़ाते समय हजारवां कमल गायब था। ऐसे में विष्णु जी ने अपनी पूजा को पूरा करने के लिए अपनी आंख को कमल मानकर भगवान शिव को अर्पित कर दिया था। ऐसे में भगवान शिव अति प्रसन्न हुए और उन्होंने श्री हरि की केवल आंख ही नहीं वापस की बल्कि उन्हें सुदर्शन चक्र का उपहार भी दिया। जो आने वाले समय में सबसे शक्तिशाली शस्त्रों में से एक माना जाता है।

बैकुंठ चतुर्दशी 2022 पूजा विधि

  • इस दिन सुबह उठकर सभी कामों से निवृक्त होकर स्नान आदि करके साथ सूथरे वस्त्र धारण कर लें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु को श्रृद्धा के साथ 108 या जितने कमल के फूल मिल जाएं वो अर्पित करें।
  • भगवान शिव को भी कमल का फूल के साथ सपेद चंदन, भोग आदि लगाएं।
  • घी का दीपक और धूप जलाने के बाद शिव जी और विष्णु जी के नामों का अच्छी तरह से उच्चारण करें।
  • नाम का जाप करने के बाद इस मंत्र का जाप करें-विना यो हरिपूजां तु कुर्याद् रुद्रस्य चार्चनम्। वृथा तस्य भवेत्पूजा सत्यमेतद्वचो मम।।
  • अंत में विधिवत आरती करने के बाद भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

डिसक्लेमर

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