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Varaha Jayanti 2023: वराह जयंती की पूजा से समाप्त होता है भय, जानिए पूजा विधि और महत्व

Varaha Avatar वराह जयंती हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। वराह जयंती के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने वराह रूप में अवतार लिया था। ऐसा माना जाता है कि पूजन करने से भूत-प्रेत का भय समाप्त होता हैं। इस साल वराह जयंती 17 सितंबर 2023 रविवार के दिन मनाई जाएगी।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Wed, 13 Sep 2023 04:23 PM (IST)
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Varaha Jayanti 2023 जानिए वराह जयंती पूजा विधि और महत्व।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Varaha Jayanti 2023: जब जब पृथ्वी पर कोई संकट व्याप्त हो जाता है, तब-तब भगवान अवतार लेकर उस संकट को दूर करते है। भगवान विष्णु ने अनेको बार पृथ्वी पर अवतार लिया है। उन्हीं में से एक अवतार है वराह अवतार। सत्ययुग के दौरान वराह भगवान विष्णु के तीसरे अवतार थे। प्रत्येक वर्ष  भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान वराह की जयंती मनाई जाती है। वराह जयंती के अवसर पर भगवान विष्णु के मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। आइए जानते हैं वराह जयंती की पूजा विधि।

वराह जयंती का महत्व (Varaha Jayanti Importance)

धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु ने पृथ्वी को बचाने के लिए वराह रूप में अवतार लिया था। प्राचीन समय में जब दैत्य हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को समुद्र में छिपा दिया तब ब्रह्मा की नाक से भगवान विष्णु वराह रूप में प्रकट हुए। वराह भगवान ने पृथ्वी को बचाने के लिए राक्षस हिरण्याक्ष का वध किया, और अपने दांतों के उपयोग से पृथ्वी को वापस सतह पर ले आए।

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वराह जयंती की पूजा विधि (Varaha Jayanti Puja vidhi)

वराह जयंती के पावन पर्व पर साधक को प्रात:काल स्नान करना चाहिए। इसके बाद भगवान वराह की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराने के बाद उन्हे भोग लगाएं तथा धूप, दीप, नैवेद्य, चन्दन से आरती करें। इसके बाद हिरण्याक्ष वध की कथा सुनें। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपनी क्षमता अनुसार दान दें। साथ ही इस दिन वराह स्त्रोत और वराह कवच का पाठ करना चाहिए। इस व्रत के प्रभाव से मनोवांछित फल मिलता है।

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