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Varuthini Ekadashi 2024: भगवान विष्णु की पूजा के समय जरूर करें ये आरती, चंद दिनों में दूर होंगे सभी कष्ट

धार्मिक मान्यता है कि एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं और धन की समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो आज पूजा के समय ये आरती जरूर करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Fri, 03 May 2024 07:00 AM (IST)
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Varuthini Ekadashi 2024: भगवान विष्णु की पूजा के समय जरूर करें ये आरती
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Varuthini Ekadashi 2024: वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी 04 मई को है। इसे वरुथिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु एकादशी का व्रत रख जाता है। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं और धन की समस्या से निजात पाना चाहते हैं, तो वरुथिनी एकादशी के दिन पूजा के समय ये आरती जरूर करें। इस आरती के पाठ से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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1. श्री महालक्ष्मी आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

उमा,रमा,ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

जिस घर में तुम रहतीं, तहँ सब सद्गुण आता।

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता...

2. तुलसी माता की आरती

जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता ।

सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥

जय तुलसी माता...

सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर ।

रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता ॥

जय तुलसी माता...

बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या ।

विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता ॥

जय तुलसी माता...

हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित ।

पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता ॥

जय तुलसी माता...

लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में ।

मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता ॥

जय तुलसी माता...

हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी ।

प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता ॥

हमारी विपद हरो तुम,कृपा करो माता ॥

जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता ।

सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥

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