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Vat Savitri Vrat 2023: कुछ समय पहले हुई है दांपत्य जीवन की शुरुआत? तो जान लीजिए वट सावित्री व्रत जुड़े कुछ नियम

Vat Savitri Vrat 2023 ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। यह व्रत सुखी वैवाहिक जीवन और अखंड सौभाग्य के आशीर्वाद के लिए सुहागिन महिलाएं रखती हैं। इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sat, 13 May 2023 04:39 PM (IST)
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Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री व्रत के दिन जरूर रखें इन विशेष बातों का ध्यान।
नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Vat Savitri Vrat 2023: वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है। वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत रखने से जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहती है और दांपत्य जीवन में आ रही परेशानियां दूर हो जाती है। इस वर्ष यह पर्व 19 मई 2023, शुक्रवार (Vat Savitri Vrat 2023 Date) के दिन रखा जाएगा। आइए जानते हैं, पूजा से जुड़े कुछ जरूरी नियम।

वट सावित्री व्रत नियम (Vat Savitri Vrat 2023 Niyam)

शास्त्रों में बताया गया है कि वट सावित्री व्रत के दिन जिन महिलाओं की नई-नई शादी हुई है, उन्हें कुछ विशेष नियम और पूजा सामग्री का ध्यान रखना चाहिए। पहली बार वट सावित्री व्रत रखते समय उन्हें अपनी पूजा सामग्री में- कलावा, अक्षत, सिंदूर, श्रृंगार, बांस से बना पंखा, धूप-दीप, फल-फूल, सुपारी, बताशे, रोली, नारियल, दूर्वा, पान, सुपारी और कुछ पैसे की जरूर रखना चाहिए।

जान लीजिए वट सावित्री व्रत के लिए पूजा के कुछ नियम (Vat Savitri Vrat 2023 Puja Vidhi)

  • वट सावित्री व्रत के दिन जिन महिलाओं की नई शादी हुई है, उन्हें जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए और लाल रंग की साड़ी पहननी चाहिए। इसके बाद उन्हें दुल्हन की तरह 16 श्रृंगार करना चाहिए।

  • वट वृक्ष की पूजा के समय सबसे पहले पेड़ के जड़ में जल अर्पित करें और धूप-दीप जलाएं। फिर वृक्ष को रोली, सिंदूर, पान, सुपारी, अक्षत, फल, फूल इत्यादि अर्पित करें।

  • इसके बाद वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें और परिक्रमा के दौरान वृक्ष को रक्षा सूत्र बांधे। ऐसा करने के बाद बरगद के पेड़ की छांव में वट सावित्री व्रत की कथा का श्रवण या पाठ करें।

  • वट सावित्री व्रत पूजा के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को अनाज, कपड़ा और धन दान करें। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि वट सावित्री व्रत का पारण भीगे हुए चने खाकर करना चाहिए। इन नियमों का पालन करने से जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।