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Vibhuvana Sankashti Chaturthi 2023: विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत पर जरूर करें श्री गणेश संकटनाशन स्तोत्र का पाठ

Vibhuvana Sankashti Chaturthi 2023 आज यानी श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विभुवन संकष्टि चतुर्थी व्रत रखा जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन भगवान श्री गणेश की उपासना करने से साधक को सुख समृद्धि बल एवं बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आज भगवान श्री गणेश को समर्पित संकटनाशन स्तोत्र का पाठ करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Fri, 04 Aug 2023 05:30 AM (IST)
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Vibhuvana Sankashti Chaturthi 2023: पढ़िए श्री गणेश संकटनाशन स्तोत्र।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Vibhuvana Sankashti Chaturthi 2023: वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी श्रावण 'अधिक' मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन 3 साल में एक बार रखा जाने वाला विभुवन संकष्टि चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। आज के दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने से साधक को बल एवं बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

भगवान श्री गणेश सभी देवी-देवताओं में प्रथम पूजनीय देवता हैं। ऐसे में आज के दिन उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से के लिए पूजा-पाठ को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भगवान श्री गणेश को समर्पित संकटनाशन स्तोत्र का पाठ करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है। साथ ही जीवन में आ रहे कई प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं। आइए पढ़ते हैं, श्री गणेश संकटनाशन स्तोत्र।

श्री गणेश संकटनाशन स्तोत्र (Shri Ganesh Sankatnashan Stotram lyrics in Hindi)

प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम।

भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये।।

प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम।

तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम।।

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च।

सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ।।

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम।

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम।।

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द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरंप्रभो ।।

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ।।

जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत्।

संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ।।

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:।।

।। इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।

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