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Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी की पूजा में इन मंत्रों का करें जाप, सभी संकट होंगे खत्म

पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। यह तिथि भगवान भोलेनाथ के पुत्र भगवान गणेश को समर्पित है। इस अवसर पर गणपति बप्पा की पूजा-व्रत करने का विधान है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। पौष माह में विनायक चतुर्थी का पर्व 14 जनवरी 2024 को मनाया जाएगा।

By Jagran News Edited By: Pravin KumarUpdated: Fri, 05 Jan 2024 01:09 PM (IST)
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Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी की पूजा में इन मंत्रों का करें जाप, सभी संकट होंगे खत्म
धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Vinayak Chaturthi 2024: पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। यह तिथि भगवान भोलेनाथ के पुत्र भगवान गणेश को समर्पित है। इस अवसर पर गणपति बप्पा की पूजा-व्रत करने का विधान है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन के सभी संकट से निजात मिलती है। पौष माह में विनायक चतुर्थी का पर्व 14 जनवरी 2024 को मनाया जाएगा। मान्यता है कि विनायक चतुर्थी की पूजा के दौरान भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करना शुभ होता है, जिससे साधक का जीवन सुखमय होता है और सदैव गणपति बप्पा की कृपा सदैव बनी रहती है। आइए आपको बताते हैं विनायक चतुर्थी के दिन किन मंत्रों का जाप करना फलदायी होता है।

भगवान गणेश के मंत्र

1.वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

2.ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।

ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति करो दूर क्लेश ।।

3.त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।

नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।

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4. ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥

5.महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

6.गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

7.ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पत्ये वर वरदे नमः

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात”

8.ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये।

वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।

9.दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

10. गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।

नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।

धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।

गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।

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Author- Kaushik Sharma

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