Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी पर गणपति बप्पा को ऐसे करें प्रसन्न, सभी कार्यों में सफलता होगी हासिल

पंचांग के अनुसार हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ऐसे में आप चैत्र माह की विनायक चतुर्थी पर इन मंत्रों के द्वारा गणेश जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 07 Apr 2024 08:00 PM (IST)
Hero Image
Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी पर गणपति बप्पा को ऐसे करें प्रसन्न, सभी कार्यों में सफलता होगी हासिल

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vinayak Chaturthi 2024: हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का खास महत्व है। इस दिन भगवान गणेश जी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही जीवन में सुख और शांति के लिए व्रत किया जाता है। पंचांग के अनुसार, हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस बार चैत्र माह में विनायक चतुर्थी 12 अप्रैल को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं। ऐसे में आप चैत्र माह की विनायक चतुर्थी पर इन मंत्रों के द्वारा गणेश जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है।

यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2024 Ghatasthapana Vidhi: नवरात्र में ऐसे करें घटस्थापना, जानें शुभ मुहूर्त और सामग्री लिस्ट

विनायक चतुर्थी 2024 पूजा मंत्र (Vinayak Chaturthi 2024 Puja Mantra)

भगवान गणेश के मंत्र

ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

गणेश गायत्री मंत्र

ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

गणेश बीज मंत्र

ऊँ गं गणपतये नमो नमः ।

विघ्न नाशक मंत्र

गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

गणेश मंत्र स्तोत्र

शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।

येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥

चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।

विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥

तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।

साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥

चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।

सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥

अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।

तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥

इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।

एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥

तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।

क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥

यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2024: नवरात्र में पाना चाहते हैं पूजा-पाठ का पूर्ण फल, तो जरूर रखें इन बातों का ध्यान

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'