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Vinayaka Chaturthi 2023: विनायक चतुर्थी पर करें इस स्तोत्र का पाठ, कर्ज की समस्या से मिलेगी मुक्ति

धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अगर आप भी आर्थिक तंगी से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं तो विनायक चतुर्थी पर विधि पूर्वक भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 17 Oct 2023 05:17 PM (IST)
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Vinayaka Chaturthi 2023: विनायक चतुर्थी पर करें इस स्तोत्र का पाठ, कर्ज की समस्या से मिलेगी मुक्ति
धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Vinayaka Chaturthi 2023: सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। इस प्रकार आश्विन माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 18 अक्टूबर को है। इसे विनायक चतुर्थी कहते हैं। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि पाने हेतु व्रत-उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अगर आप भी आर्थिक तंगी से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं, तो विनायक चतुर्थी पर विधि पूर्वक भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करें। इस स्तोत्र के नियमित पाठ से चंद दिनों में कर्ज की समस्या से मुक्ति मिल जाती है।

ध्यान

ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम् ।

ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥

मूल-पाठ

सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,

एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: ।

दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् ॥

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गणेश जी के मंत्र

1. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर

वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।'

'ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम्

संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।'

2. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः॥

3. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

डिस्क्लेमर- ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी