क्या है परशुराम द्वादशी और कैसे होती है इस दिन पूजा
बैशाख माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी को परशुराम द्वादशी भी कहा जाता है। इस बार 26 अप्रैल गुरुवार को ये तिथि पड़ रही है।
By Molly SethEdited By: Updated: Thu, 26 Apr 2018 09:36 AM (IST)
विष्णु जी ने लिया परशुराम अवतार
हिन्दू पंचांग के वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी को परशुराम द्वादशी मनाई जाती है। इस वर्ष गुरुवार 26 अप्रैल 2018 को ये पर्व मनाया जाएगा। हिन्दू धार्मिक पुराणों के अनुसार प्राचीन काल में महिष्मती नगर में हैयतवंशी क्षत्रिय राजा सहस्त्रबाहु का शासन था। बताते हैं सहस्त्रबाहु अत्यंत क्रूर तथा अत्याचारी था जिससे जनता काफी त्रस्त थी। राजा का अत्याचार जब हद से बढ़ गया और पृथ्वी उसके पापों के बोझ से कराहने लगी तो उसने विष्णु जी से प्रार्थना करके उसके अन्याय से रक्षा का आग्रह किया। तब विष्णु जी ने पृथ्वी को आश्वासन दिया कि वो जल्द ही उनकी रक्षा के लिए आयेंगे और फिर शुक्ल पक्ष की द्वादशी को उन्होंने परशुराम अवतार लिया और सहस्त्रबाहु सहित इक्कीस बार क्षत्रियों वध किया। इस दिन पूरे देश में परशुराम जी की पूजा की जाती है। परशुराम जी के क्रोध को शांत करने के लिए महर्षि ऋचीक ने उनसे दान में पृथ्वी मांग ली जिसे देकर वे स्वंय महेंद्र पर्वत पर निवास करने चले गए।
पूजन विधि
परशुराम द्वादशी के दिन सूर्योदय होते ही उठें और स्नान ध्यान से निवृत होकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करे। इस दिन व्रत करने वाले को निराहार रहना चाहिए। शाम को आरती अर्चना करने के बाद फलाहार ग्रहण करें। इसके बाद अगले दिन फिर से पूजा करने के उपरांत भोजन ग्रहण करें। चूंकि इस बार ये दिन गुरूवार को ही पड़ रहा है तो विष्णु जी की पूजा और बृहस्पतिवार का व्रत साथ साथ किया जा सकता है। बस ध्यान रहे कि इस दिन आपको नमक के सेवन से भी बचना होगा।