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Swasti Vachan: हर पूजा में क्यों होता है स्वस्ति वाचन? जानें इसका अर्थ, नियम एवं महत्व

Swasti Vachan स्वस्ति वाचन आपने पूजन में कई बार सुना होगा परंतु इसका अर्थ आप नही जानते होंगे। आइए जानते हैं कि क्या है स्वस्ति वाचन और इसको सुनने से होने वाले लाभ?

By Kartikey TiwariEdited By: Updated: Tue, 04 Aug 2020 01:01 PM (IST)
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Swasti Vachan: हर पूजा में क्यों होता है स्वस्ति वाचन? जानें इसका अर्थ, नियम एवं महत्व
Swasti Vachan: चाहे कोई भी पूजा हो, शादी हो, घर का मुहूर्त हो या कोई हवन का आयोजन.. एक मंत्र आपने जरूर सुना होगा। ऊं स्वस्ति न इंद्रो... इसके मंत्रोजाप के वक्त पंडित और विद्वान लोग एक अलग ही ऊर्जा के साथ सस्वर पाठ करते सुनाई देते हैं। इसे स्वस्ति मंत्र कहते हैं और शास्त्रों में इसे बड़ा ही फलकारी बताया गया है। इस मंत्र के लिए जरूरी नहीं कि कोई बड़ा अनुष्ठान हो, तभी इसका वाचन करना होता है, आप दैनिक जीवन में भी इस मंत्र का जाप कर सकते हैं और बड़े ही आराम से कर सकते हैं। घर में अपने बच्चों को भी इसका जाप करना सिखाएं। बस उच्चारण सही हो इसका खयाल रखा जाए।

स्वस्ति वाचन का अर्थ

स्वस्ति वाचन आपने पूजन में कई बार सुना होगा, परंतु इसका अर्थ आप नही जानते होंगे। आइए ज्योतिषाचार्या साक्षी शर्मा से जानते हैं कि क्या है स्वस्ति वाचन और इसको सुनने से होने वाले लाभ। स्वस्ति मन्त्र शुभ और शांति के लिए प्रयुक्त होता है। स्वस्ति = सु + अस्ति = कल्याण हो। ऐसा माना जाता है कि इससे हृदय और मन मिल जाते हैं। स्वस्ति मन्त्र का पाठ करने की क्रिया स्वस्तिवाचन कहलाती है। 

स्वस्ति वाचन मंत्र

ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।

स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।

स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।

स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

हिन्दी भावार्थ:

महान कीर्ति वाले इन्द्र हमारा कल्याण करो, विश्व के ज्ञानस्वरूप पूषादेव हमारा कल्याण करो। जिसका हथियार अटूट है, ऐसे गरुड़ भगवान हमारा मंगल करो। बृहस्पति हमारा मंगल करो।

स्वस्ति वाचन के नियम-

1. स्वस्ति वाचन किसी भी पूजा के प्रारंभ में किया जाना चाहिए।

2. स्वस्ति वाचन के पश्चात सभी दसों दिशाओं में अभिमंत्रित जल या पूजा में प्रयुक्त जल के छीटें लगाने चाहिए।

3. नए घर मे प्रवेश के समय भी ऐसा करना मंगलकारी होता है।

4. विवाह के विधिविधान में भी स्वस्ति वाचन का महत्व है।

जिस प्रकार स्वास्तिक सभी प्रकार के वास्तु दोष समाप्त कर देता है, वैसे ही स्वस्ति वाचन से सभी प्रकार के पूजन दोष समाप्त हो जाते हैं।