Aja Ekadashi 2023: आज है अजा एकादशी, नोट करें- शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण का समय
Aja Ekadashi 2023 धार्मिक मान्यता है कि एकादशी तिथि पर व्रत उपवास रख भगवान श्रीहरि विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से आय आयु सुख और सौभाग्य में मन मुताबिक वृद्धि होती है। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट से मुक्ति मिलती है। आइए अजा एकादशी की पूजा विधि और पारण का समय जानते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 10 Sep 2023 11:52 AM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Aja Ekadashi 2023: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। वैष्णव समाज के लिए एकादशी की तिथि किसी उत्स्व से कम नहीं होता है। इस दिन साधक भगवान विष्णु के निमित्त व्रत उपवास भी रखते हैं। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी तिथि पर व्रत उपवास रख भगवान श्रीहरि विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से आय, आयु, सुख और सौभाग्य में मन मुताबिक वृद्धि होती है। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा दृष्टि पाना चाहते हैं, तो अजा एकादशी के दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। आइए, अजा एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी मनाई जाती है। इस प्रकार, आज अजा एकादशी है। एकादशी तिथि आज रात 09 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः आज अजा एकादशी का व्रत रखा रहा है।पूजा विधि
अजा एकादशी तिथि पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें। भगवान विष्णु को पीला रंग अति प्रिय है। अतः पीले रंग का वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात, भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। तदोउपरांत, भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से करें। इसके लिए पूजा गृह में एक चौकी पर लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अब षोडशोपचार कर पीले रंग के फल, फूल, धूप, दीप आदि चीजों से भगवान विष्णु की पूजा करें। इस समय विष्णु चालीसा का पाठ करें। साथ ही विष्णु स्तोत्र का पाठ और मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में आरती अर्चना कर सुख, समृद्धि और वंश वृद्धि की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। रात्रि में जागरण कर कीर्तन भजन करें। अगले दिन पूजा-पाठ कर व्रत खोलें।
पारण समय
साधक 11 सितंबर को प्रातः काल 06 बजकर 04 मिनट से लेकर 08 बजकर 33 मिनट तक पारण कर सकते हैं।डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'