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Bhadrapad Sankashti Chaturthi 2023: इस विधि से आज करें भगवान गणेश की पूजा, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

Bhadrapad Sankashti Chaturthi 2023 इस शुभ अवसर पर विधि-विधान से देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा-उपासना की जा रही है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास भी रखा जा रहा है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 03 Sep 2023 09:51 AM (IST)
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Bhadrapad Sankashti Chaturthi 2023: इस विधि से आज करें भगवान गणेश की पूजा, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Bhadrapad Sankashti Chaturthi 2023:  आज हेरंब संकष्टी चतुर्थी है। यह पर्व हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा-उपासना की जा रही है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास भी रखा जा रहा है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए, हेरंब संकष्टी चतुर्थी की तिथि, पूजा विधि और चंद्र दर्शन समय जानते हैं-

तिथि और मुहूर्त

ज्योतिषियों की मानें तो संकष्टी चतुर्थी 3 सितंबर को संध्याकाल में 6 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अत: 3 सिंतबर को हेरंब संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है। हेरंब संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन का समय संध्याकाल 08 बजकर 57 मिनट है।

पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें और पीले रंग के वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले भगवान भास्कर को जल का अर्ध्य दें। इसके बाद निम्न मंत्र का उच्चारण कर गणपति जी का आह्वान करें-

वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।

निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा॥

अब फल, फूल, धूप-दीप, दूर्वा, चंदन आदि से भगवान गणेश की विधि पूर्वक पूजा करें। भगवान गणेश को पीला पुष्प दूर्वा और मोदक अति प्रिय है। अतः पूजा में उन्हें पीले पुष्प, दूर्वा और मोदक अवश्य भेंट करें। पूजा के समय गणेश चालीसा का पाठ और मंत्र जाप अवश्य करें। अंत में आरती और प्रदक्षिणा कर भगवान गणेश से सुख, शांति और धन प्राप्ति की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती-अर्चना के बाद फलाहार करें।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'