Jitiya Vrat 2023: आज इस शुभ मुहूर्त में करें जीमूतवाहन जी की पूजा, प्राप्त होगा कई गुना फल
Jitiya Vrat 2023 Date सनातन धर्म में जीवित्पुत्रिका पर्व का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से संतान की आयु लंबी होती है। साथ ही पुत्र को आरोग्य जीवन प्राप्त होता है। इस व्रत में महिलाएं 24 घंटे तक अनवरत निर्जला उपवास रखती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती के बच्चे तेजस्वी ओजस्वी और मेधावी होते हैं।
नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Jitiya Vrat 2023: सनातन पंचांग के अनुसार, आज जीवित्पुत्रिका व्रत है। इसे जितिया भी कहा जाता है। यह पर्व हर वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित स्त्रियां व्रत रखती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से संतान दीर्घायु होता है। साथ ही संतान तेजस्वी, ओजस्वी और मेधावी होता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि जितिया करने वाले व्रती के संतान की रक्षा स्वंय भगवान श्रीकृष्ण करते हैं। नवविवाहित महिलाएं पुत्र प्राप्ति हेतु जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं। आइए, जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त, महत्व एवं मंत्र जानते हैं-
महत्व
सनातन धर्म में जितिया पर्व का विशेष महत्व है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही संतान की आयु लंबी होती है। कालांतर में भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे संतान को अपना सर्वस्व पुण्य फल देकर जीवित कर दिया था। इसके लिए अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के पुत्र को जीवित्पुत्रिका कहा गया। उस समय से हर वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत मनाया जाता है। ।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को प्रातः काल 06 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 7 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 6 अक्टूबर को जितिया व्रत रखा जा रहा है।
मंत्र
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते,
देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः
पंचांग
जितिया व्रत के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक है। वहीं, राहुकाल सुबह 10 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक है। इस दौरान शुभ काम करने की मनाही होती है।
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