Move to Jagran APP

Lalita Jayanti 2022: कब है ललिता जयंती, जानें-पूजा की कथा और महत्व

Lalita Jayanti 2022 पौराणिक कथा है कि मां सती और भगवान शिव के विवाह से प्रजापति दक्ष प्रसन्न नहीं थे। कालांतर में एक बार प्रजापति दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन किया। इस आयोजन में प्रजापति दक्ष ने भगवान शिव और पुत्री सती को आमंत्रित नहीं किया।

By Pravin KumarEdited By: Updated: Fri, 11 Feb 2022 09:32 AM (IST)
Hero Image
Lalita Jayanti 2022: कब है ललिता जयंती, जानें-पूजा की कथा और महत्व
Lalita Jayanti 2022: हिंदी पंचांग के अनुसार, हर वर्ष माघ माह की पूर्णिमा तिथि को ललिता जयंती मनाई जाती है। इस प्रकार, वर्ष 2022 में ललिता जयंती 16 फरवरी को है। इस तिथि को माघ पूर्णिमा भी है। सनातन धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन मां ललिता की पूजा-उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि मां ललिता की विधि पूर्वक पूजा-उपासना करने से व्यक्ति के सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है। वहीं, साधक पर मां ललिता की कृपा सदैव बरसती रहती है। मां की कृपा से व्रती को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आइए, ललिता जयंती की पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त और विधि जानते हैं-

श्री ललिता जयंती कथा

पौराणिक कथा है कि मां सती और भगवान शिव के विवाह से प्रजापति दक्ष प्रसन्न नहीं थे। कालांतर में एक बार प्रजापति दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन किया। इस आयोजन में प्रजापति दक्ष ने भगवान शिव और पुत्री सती को आमंत्रित नहीं किया। उस समय मां सती ने पिता के यज्ञ में जाने की इच्छा भगवान शिव से जताई। साथ ही अनुमति भी मांगी। तब भगवान शिव ने मां सती से कहा-बिना आमंत्रण के किसी घर पर जाना उचित नहीं होता है।

ऐसी परिस्थिति में सम्मान की जगह अपमान होता है। इसके लिए आप अपने पिता के घर न जाए। हालांकि, मां सती के न मानने पर भगवान शिव ने उन्हें जाने की अनुमति दे दी। जब मां सती अपने पिता के यज्ञ में शामिल होने पहुंची, तो वहां भगवान शिव के प्रति कटु और अपमानजनक शब्द सुनकर मां सती बेहद कुंठित हुई। उस समय मां सती पिता द्वारा आयोजित यज्ञ कुंड में समा गईं।

इसके बाद शिव जी क्रोधित हो उठे और माता सती को कंधे पर रख तांडव करने लगे। इससे तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। उसी समय भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर को 51 टुकड़ों में बांट दिया। ये सभी अंग धरती पर गिरे। ये सभी स्थल शक्तिपीठ कहलाया। इनमें एक स्थान मां ललिता आदि शक्ति का भी है। कालांतर में मां सती ललिता देवी के नाम से पुकारी जाने लगी।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'