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Mahesh Navami 2023: आज है महेश नवमी, जानें- शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Mahesh Navami 2023 धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवों के देव महादेव की कृपा से माहेश्वरी समाज की वंशोत्पत्ति हुई है। अतः माहेश्वरी समाज के लिए महेश नवमी का विशेष महत्व है। इस दिन मंदिर एवं शिवालय में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 29 May 2023 08:42 AM (IST)
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Mahesh Navami 2023: आज है महेश नवमी, जानें- शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Mahesh Navami 2023: आज महेश नवमी है। यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव संग जगत जननी के निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। साथ ही देवों के देव महादेव की विधि विधान से पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि महेश नवमी तिथि को भगवान शिव की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में मंगल का आगमन होता है। अतः साधक अपने आराध्य भगवान शिव की भक्ति-भाव से पूजा उपासना करते हैं। आइए, महेश नवमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व जानते हैं-

महत्व

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवों के देव महादेव की कृपा से माहेश्वरी समाज की वंशोत्पत्ति हुई है। अतः माहेश्वरी समाज के लिए महेश नवमी का विशेष महत्व है। इस दिन मंदिर एवं शिवालय में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। बड़ी संख्या में भक्त बाबा के दर्शन हेतु मंदिर आते हैं। इस अवसर पर माहेश्वरी समाज द्वारा सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यों का आयोजन किया जाता है।

महेश नवमी मुहूर्त

पंचांग के अनुसार नवमी तिथि 28 मई को सुबह 09 बजकर 56 मिनट पर शुरू होकर 29 मई को सुबह 11 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। साधक आज प्रातः काल और संध्याकाल में देवों के देव महादेव की पूजा उपासना कर सकते हैं।

पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान शिव का स्मरण कर दिन की शुरुआत करें। इसके पश्चात, नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें। इसके बाद नवीन वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले भगवान सूर्य को जल का अर्घ्य दें। तत्पश्चात, भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध,दही और पंचामृत से करें। इस दौरान शिव चालीसा का पाठ और मंत्रों का जाप अवश्य करें। अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। शाम में आरती-अर्चना कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।