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Papankusha Ekadashi 2023: इस विधि से आज करें भगवान विष्णु की पूजा, दूर होंगे सभी दुख और संताप

Papankusha Ekadashi 2023 इस दिन भगवान विष्णु संग धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति हेतु व्रत उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से अनजाने में किए हए सभी पाप मिट जाते हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 25 Oct 2023 09:39 AM (IST)
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Papankusha Ekadashi 2023: इस विधि से आज करें भगवान विष्णु की पूजा
धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Papankusha Ekadashi 2023: आज पापांकुशा एकादशी है। यह पर्व हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से अनजाने में किए हुए सभी पाप मिट जाते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से एकादशी तिथि पर लक्ष्मी नारायण की पूजा-अर्चना करते हैं। आइए, पापांकुशा एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व जानते हैं-

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शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आज दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक है। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः  आज यानी 25 अक्टूबर को पापाकुंशा एकादशी मनाई जा रही है।

पारण का समय

पापाकुंशा एकादशी व्रत का पारण 26 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 28 मिनट से लेकर 08 बजकर 43 मिनट तक है। इस दौरान साधक पारण कर सकते हैं।

पूजा विधि

आज दैनिक कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल मिश्रित या युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें और व्रत संकल्प लें। अब पीले रंग का वस्त्र धारण करें और भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। तत्पश्चात, पूजा गृह में एक चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें। अब पंचोपचार कर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना करें। भगवान विष्णु को पीले रंग का फल, फूल और मिठाई अवश्य अर्पित करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्र जाप करें। अंत में आरती कर सुख, समृद्धि की कामना करें। दिनभर व्रत रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन निर्धारित समय पर पूजा संपन्न कर व्रत खोलें।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।