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Shani Pradosh Vrat 2024: कब है सावन माह का अंतिम प्रदोष व्रत? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। शनिवार के दिन पड़ने के चलते यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा। शनि प्रदोष व्रत करने से नवविवाहित दंपती को यथाशीघ्र संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 06 Aug 2024 06:25 PM (IST)
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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shani Pradosh Vrat 2024: सावन का महीना भगवान शिव को पूर्णतया समर्पित होता है। इस महीने में रोजाना भगवान शिव की पूजा की जाती है। साथ ही सावन सोमवार पर व्रत रखा जाता है। इस महीने में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें कई त्योहार कृष्ण पक्ष में मनाए जाते हैं, तो कुछ त्योहार शुक्ल पक्ष में मनाए जाते हैं। प्रदोष व्रत दोनों पक्ष में मनाया जाता है। इस व्रत का पुण्य फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। आइए, सावन माह के अंतिम प्रदोष व्रत की तिथि एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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शनि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 अगस्त को सुबह 08 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, समापन 18 अगस्त को सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर होगा। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। अतः 17 अगस्त को शनि प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। इस दिन प्रदोष काल यानी पूजा का समय संध्याकाल 06 बजकर 58 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 11 मिनट तक है।

शुभ योग

ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह के अंतिम प्रदोष व्रत पर सबसे पहले प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन सुबह 10 बजकर 48 मिनट पर होगा। इसके बाद आयुष्मान योग का संयोग बन रहा है। इस योग का संयोग पूर्ण रात्रि तक है। इस दिन दुर्लभ शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव सुबह 08 बजकर 05 मिनट तक कैलाश पर रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव नंदी पर सवार रहेंगे। इस समय में भगवान शिव की पूजा करने से हर कार्य में सफलता मिलती है।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 04 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 58 मिनट पर

चन्द्रोदय- शाम 05 बजकर 18 मिनट पर

चंद्रास्त- शाम 04 बजकर 10 मिनट पर (18 अगस्त )

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 35 मिनट से 05 बजकर 20 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 40 मिनट से 03 बजकर 31 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 58 मिनट से 07 बजकर 20 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।