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Skanda Shashti 2023: आज है सावन महीने की स्कन्द षष्ठी, जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

Skanda Shashti 2023 आज सावन महीने की स्कन्द षष्ठी है। साधक आज के दिन व्रत-उपवास रख श्रद्धा भाव से भगवान कार्तिकेय की पूजा करते हैं। भगवान कार्तिकेय स्कंद देव महासेन पार्वतीनन्दन षडानन मुरुगन सुब्रह्मन्य आदि कई नामों से जाना जाता है। दक्षिण भारत में देवों के सेनापित भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा की जाती है। साधक 11 बजे के पश्चात स्नान ध्यान कर पूजा पाठ कर सकते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 23 Jul 2023 10:30 AM (IST)
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Skanda Shashti 2023: आज है सावन महीने की स्कन्द षष्ठी, जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Skanda Shashti 2023: हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी मनाई जाती है। इस प्रकार, आज सावन महीने की स्कन्द षष्ठी है। साधक आज के दिन व्रत-उपवास रख श्रद्धा भाव से भगवान कार्तिकेय की पूजा करते हैं। भगवान कार्तिकेय स्कंद देव, महासेन, पार्वतीनन्दन, षडानन, मुरुगन, सुब्रह्मन्य आदि कई नामों से जाना जाता है। दक्षिण भारत में देवों के सेनापित भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा की जाती है। सनातन धर्म में नवरात्रि के पांचवें दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की शक्ति स्वरूप स्कंदमाता (पार्वती मां) की पूजा उपासना की जाती है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद कहा जाता है। अतः भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करने से स्कंदमाता भी प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा-दृष्टि साधक पर बरसती है। आइए, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जानते हैं-

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, स्कंद षष्ठी 23 जुलाई को दिन में 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 24 जुलाई को दोपहर 01 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 23 जुलाई को ही स्कंद षष्ठी मनाई जा रही है। साधक 11 बजे के पश्चात स्नान ध्यान कर पूजा पाठ कर सकते हैं।

पूजा विधि

स्कंद षष्ठी के दिन ब्रह्म बेला में उठें और शिव परिवार को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। अब सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें। नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें और आचमन कर व्रत संकल्प लें। इस समय नवीन वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल अर्पित करें। तदोउपरांत, पूजा गृह में एक चौकी पर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित कर फल, फूल, मेवा, कलावा, दीपक, अक्षत, हल्दी, चंदन, दूध, दही, श्रीखंड, घी, इत्र आदि से करें। पूजा के समय कार्तिकेय चालीसा का पाठ और मंत्र जाप अवश्य करें। अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि और शांति की कामना करें। इच्छा पूर्ति हेतु व्रत-उपवास करें। शाम में आरती-अर्चना कर फलाहार करें। इस समय घर में दीप अवश्य जलाएं।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'