Vinayaka Chaturthi 2023: आश्विन महीने में कब है विनायक चतुर्थी? जानें- शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व
Vinayaka Chaturthi 2023 ज्योतिष पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 18 अक्टूबर ( अंग्रेजी कैलेंडर) को देर रात 01 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 19 अक्टूबर को देर रात 01 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 18 अक्टूबर को विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 11 Oct 2023 01:13 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Vinayaka Chaturthi 2023: हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। तदनुसार, आश्विन माह में 18 अक्टूबर को विनायक चतुर्थी है। यह दिन रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन विधिपूर्वक भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कार्यों में सिद्धि प्राप्ति हेतु व्रत उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः साधक विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। आइए, पूजा का शुभ मुहूर्त, तिथि और पूजा विधि जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
ज्योतिष पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 18 अक्टूबर ( अंग्रेजी कैलेंडर) को देर रात 01 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 19 अक्टूबर को देर रात 01 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 18 अक्टूबर को विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में प्रवेश करेंगे। अतः 18 अक्टूबर को तुला संक्रांति भी है।
पूजा विधि
साधक और भक्तगण विनायक चतुर्थी के दिन विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इस दिन ब्रह्मा बेला में उठें। इसके पश्चात, घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद गंगाजल मिश्रित पानी से स्नान कर करें। इस समय आचमन कर व्रत संकल्प लें। अब पीले रंग का वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके पश्चात, पंचोपचार कर भगवान गणेश की पूजा फल, फूल और मोदक से करें। पूजा के समय गणेश चालीसा का पाठ और मंत्र जाप करें। अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। शाम में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।डिस्क्लेमर- ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी