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Vinayaka Chaturthi 2023: आज है विनायक चतुर्थी, इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान गणेश की पूजा

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 16 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 17 नवंबर को सुबह 11 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन सूर्य देव अपनी राशि बदलने वाले हैं। सूर्य देव 17 नवंबर को तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। अतः 17 नवंबर को वृश्चिक संक्रांति है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 16 Nov 2023 09:51 AM (IST)
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Vinayaka Chaturthi 2023: इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान गणेश की पूजा

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vinayaka Chaturthi 2023: सनातन धर्म में कार्तिक महीने का विशेष महत्व है। इस महीने में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाये जाते हैं। इस माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। तदनुसार, आज विनायक चतुर्थी है। साधक व्रत रख भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करते हैं। धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सुख, समृद्धि, आय और आयु में वृद्धि होती है।अतः साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं। आइए, पूजा का शुभ मुहूर्त, तिथि और पूजा विधि जानते हैं-

शुभ मुहूर्त

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 16 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 17 नवंबर को सुबह 11 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन सूर्य देव अपनी राशि बदलने वाले हैं। सूर्य देव 17 नवंबर को तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। अतः 17 नवंबर को वृश्चिक संक्रांति है।

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पूजा विधि

विनायक चतुर्थी के दिन ब्रह्म बेला यानी सुबह सूर्योदय के समय उठें। अब गणेश जी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। घर की साफ-सफाई करें। साथ ही गंगाजल छिड़ककर घर को शुद्ध कर लें। रोज के कामों से निवृत होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। शास्त्रों में निहित है कि पूजा से पूर्व आचमन अनिवार्य है। अतः आचमन कर व्रत संकल्प लें। इसके पश्चात, पीले वस्त्र धारण कर विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। इस समय पंचोपचार करें और भगवान गणेश को फल, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें। पूजा के समय गणेश चालीसा का पाठ और मंत्र जाप करें। अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। शाम में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।

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