अनामिका से करें भगवान को तिलक और मध्यमा से खुद को, जानें किस अंगुली से किसे करते हैं तिलक
सनातन धर्म की पूजा-पद्धति में तिलक का विशेष महत्व है। अनामिका से भगवान को, तो वहीं मध्यमा से खुद को तिलक लगाते हैं। आइए जानें तिलक लगाने का सही तरीका..
By abhishek.tiwariEdited By: Updated: Sat, 27 May 2017 11:31 AM (IST)
तिलक लगाने के लिए हाथ की चार अंगुलियों को प्रयोग किया जाता है। और किस अंगुली से किसको तिलक लगाना है इसका भी एक नियम होता है।
1. तर्जनी (इंडेक्स फिंगर) : दाहिने हाथ की तर्जनी अंगुली से पितृगणों को अर्थात पिण्ड को तिलक किया जाता है।2. मध्यमा (मिडिल फिंगर) : दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली से स्वंय तिलक धारण किया जाता है।
3. अनामिका (रिंग फिंगर) : दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली से भगवान व देवों का तिलक किया जाता है।
4. अंगुष्ठ (अंगूठा) : दाहिने हाथ के अंगूठे से अतिथि को तिलक किया जाता है।तिलक चार प्रकार के होते हैं-1- कुमकुम : कुमकुम हल्दी चुना मिलकर बना होता है जो हमारे आज्ञा चक्र की शुद्धि करते हुए उसे केल्शियम देते हुए ज्ञान चक्र को प्रज्व्व्लित करता है2- केशर : केशर जिसका मस्तिष्क ठंडा/ शीतल होता है उसको केसर का तिलक प्रज्ज्वलित करता है3- चंदन : चंदन दिमाग को शीतलता प्रदान करते हुए मानसिक शान्ति भी देता है।4- भस्म : भस्मी वैराग्य की अग्रसर करते हुए मष्तिष्क के रोम कूपों के विषाणुओं को भी नष्ट करता है।