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Sawan Shaniwar 2023: सावन शनिवार पर पूजा के समय करें ये स्तुति, हर मनोकामना अवश्य होगी पूरी

Sawan Shaniwar 2023 धार्मिक मान्यता है कि सावन महीने में देवों के देव महादेव की पूजा-उपासना करने वाले साधकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। खासकर सावन शनिवार पर भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली में व्याप्त अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। ज्योतिष भी सावन महीने में भगवान शिव की पूजा करने की सलाह देते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Fri, 21 Jul 2023 07:54 PM (IST)
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Sawan Shaniwar 2023: सावन शनिवार पर पूजा के समय करें ये स्तुति, हर मनोकामना अवश्य होगी पूरी
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Sawan Shaniwar 2023: शिव भक्तों के लिए सावन का महीना किसी उत्सव से कम नहीं होता है। इस महीने में 'हर हर महादेव' और 'बम बम भोले' की गूंज से वातावरण शिवमय हो जाता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिव मंदिर जाकर श्रद्धा भाव से देवों के देव महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही शिव भजन-कीर्तन करते हैं। साथ ही सावन सोमवार पर महिलाएं शिव चर्चा करती हैं। इस दिन व्रत भी रखा जाता है। सावन मंगलवार पर मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। कुल मिलाकर कहें तो सावन महीने के प्रत्येक दिन शिव परिवार की पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि सावन महीने में भगवान शिव की पूजा-उपासना करने वाले साधकों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। खासकर, सावन शनिवार पर भोलेनाथ की पूजा करने से कुंडली में व्याप्त अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। ज्योतिष भी सावन महीने में भगवान शिव की पूजा करने की सलाह देते हैं। शिव जी की पूजा करने से अविवाहितों की शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं। वहीं, विवाहितों स्त्रियों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अगर आप भी शनि की ढैय्या या साढ़े साती परेशान हैं, तो सावन शनिवार पर पूजा के समय ये स्तुति जरूर करें।

शिवनामावल्य अष्टकम्

हे चन्द्रचूड मदनान्तक शूलपाणे,

स्थाणो गिरीश गिरिजेश महेश शंभो ।

भूतेश भीतभयसूदन मामनाथं,

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥

हे पार्वतीहृदयवल्लभ चन्द्रमौले,

भूताधिप प्रमथनाथ गिरीशचाप ।

हे वामदेव भव रुद्र पिनाकपाणे,

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥

हे नीलकण्ठ वृषभध्वज पञ्चवक्त्र,

लोकेश शेषवलय प्रमथेश शर्व ।

हे धूर्जटे पशुपते गिरिजापते मां,

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥

हे विश्वनाथ शिव शंकर देवदेव,

गङ्गाधर प्रमथनायक नन्दिकेश ।

बाणेश्वरान्धकरिपो हर लोकनाथ,

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥

वाराणसीपुरपते मणिकर्णिकेश,

वीरेश दक्षमखकाल विभो गणेश ।

सर्वज्ञ सर्वहृदयैकनिवास नाथ,

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥

श्रीमन्महेश्वर कृपामय हे दयालो,

हे व्योमकेश शितिकण्ठ गणाधिनाथ ।

भस्माङ्गराग नृकपालकलापमाल,

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥

कैलासशैलविनिवास वृषाकपे हे,

मृत्युंजय त्रीनयन त्रिजगन्निवास ।

नारायणप्रिय मदापह शक्तिनाथ,

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥

विश्वेश विश्वभवनाशक विश्वरूप,

विश्वात्मक त्रिभुवनैकगुणाधिकेश ।

हे विश्वनाथ करुणामय दीनबन्धो,

संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥

गौरीविलासभवनाय महेश्वराय,

पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय ।

शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै,

दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।