ये बृहस्पतिवार है खास, गुरू आैर केले के वृक्ष के साथ करें विष्णु जी की प्रिय एकादशी की पूजा
गुरुवार को गुरु बृहस्पति, विष्णु भगवान आैर कदली वृक्ष की पूजा तो की ही जाती है। आज पड़ रही है षटतिला एकादशी भी जो श्री हरि का प्रिय दिन है। पूरी श्रद्घा से पूजा कर प्राप्त करें आर्शिवाद।
By Molly SethEdited By: Updated: Thu, 31 Jan 2019 09:42 AM (IST)
देव गुरू और विष्णु जी की पूजा का दिन
गुरुवार का दिन देव गुरू बृहस्पति की पूजा के लिए शुभ माना गया है। इसी दिन जगतपालक श्री हरि विष्णुजी की पूजा का भी विधान है। इन दोनों को पीले वस्त्र और इस रंग की अन्य वस्तुये अत्यंत प्रिय हैं। साथ ही आज षटतिला एकादशी का भी खास संयोग बन रहा है, अत: विधि विधान से इसकी भी पूजा करें। विष्णु जी को पीतांबर धारी भी कहते हैं। पीला रंग संपन्नता का प्रतीक भी माना जाता है। कई जगह देवगुरु बृहस्पति व केले के पेड़ की पूजा करने की भी मान्यता है। बृहस्पति बुद्धि के कारक माने जाते हैं, और हिन्दुओं की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केले का पेड़ पवित्र माना जाता है। गुरुवार का व्रत करने से अनेक लाभ होते हैं. जहां एक ओर आर्थिक स्थिति में सुधार होता है, वहीं अच्छी सेहत भी प्राप्त होती है। इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को सारे सुखों की प्राप्ति होती है।
गुरुवार का दिन देव गुरू बृहस्पति की पूजा के लिए शुभ माना गया है। इसी दिन जगतपालक श्री हरि विष्णुजी की पूजा का भी विधान है। इन दोनों को पीले वस्त्र और इस रंग की अन्य वस्तुये अत्यंत प्रिय हैं। साथ ही आज षटतिला एकादशी का भी खास संयोग बन रहा है, अत: विधि विधान से इसकी भी पूजा करें। विष्णु जी को पीतांबर धारी भी कहते हैं। पीला रंग संपन्नता का प्रतीक भी माना जाता है। कई जगह देवगुरु बृहस्पति व केले के पेड़ की पूजा करने की भी मान्यता है। बृहस्पति बुद्धि के कारक माने जाते हैं, और हिन्दुओं की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केले का पेड़ पवित्र माना जाता है। गुरुवार का व्रत करने से अनेक लाभ होते हैं. जहां एक ओर आर्थिक स्थिति में सुधार होता है, वहीं अच्छी सेहत भी प्राप्त होती है। इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को सारे सुखों की प्राप्ति होती है।
ऐसे करें पूजा
इस दिन प्रात: उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करें, अगर बृहस्पतिदेव की पूजा करनी हो तो उनका ध्यान करना चाहिए। इसके बाद पीले फल, पीले फूल, पीले वस्त्रों से भगवान बृहस्पतिदेव और विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए। प्रसाद के रूप में केले चढ़ाना शुभ माना जाता है। पीले वस्त्र पहनें, साथ ही पीले आसन पर गुरु बृहस्पति की प्रतिमा को रखकर देवगुरु की चार भुजाधारी मूर्ति को पंचामृत स्नान यानि दही, दुध, शहद, घी, शक्कर से स्नान करायें। इस के बाद गंध, अक्षत, पीले फूल, चमेली के फूलों से पूजा करें। पीली वस्तुओं जैसे चने की दाल से बने पकवान, चने, गुड़, हल्दी या पीले फलों का भोग लगाएं। केले के पेड़ की पूजा एवम् गुरुवार का व्रत
इस दिन केले के पेड़ की भी पूजा की जाती है। जल में हल्दी डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाएं और केले की जड़ में चने की दाल और मुनक्का चढ़ाएं। इसके बाद बृहस्पति की कथा पढ़ें और सच्चे मन से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें। अंत में केले पेड़ के पास दीपक जलाकर पेड़ की आरती करें। गुरूवार के व्रत में दिन में एक समय ही भोजन करें। बृहस्पति मंत्र ऊँ बृं बृहस्पते नम: का जप करें और बृहस्पति की भी आरती करें। शाम के समय भी बृहस्पतिवार की कथा सुननी चाहिए और बिना नमक का भोजन करना चाहिए।
इस दिन प्रात: उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करें, अगर बृहस्पतिदेव की पूजा करनी हो तो उनका ध्यान करना चाहिए। इसके बाद पीले फल, पीले फूल, पीले वस्त्रों से भगवान बृहस्पतिदेव और विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए। प्रसाद के रूप में केले चढ़ाना शुभ माना जाता है। पीले वस्त्र पहनें, साथ ही पीले आसन पर गुरु बृहस्पति की प्रतिमा को रखकर देवगुरु की चार भुजाधारी मूर्ति को पंचामृत स्नान यानि दही, दुध, शहद, घी, शक्कर से स्नान करायें। इस के बाद गंध, अक्षत, पीले फूल, चमेली के फूलों से पूजा करें। पीली वस्तुओं जैसे चने की दाल से बने पकवान, चने, गुड़, हल्दी या पीले फलों का भोग लगाएं। केले के पेड़ की पूजा एवम् गुरुवार का व्रत
इस दिन केले के पेड़ की भी पूजा की जाती है। जल में हल्दी डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाएं और केले की जड़ में चने की दाल और मुनक्का चढ़ाएं। इसके बाद बृहस्पति की कथा पढ़ें और सच्चे मन से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें। अंत में केले पेड़ के पास दीपक जलाकर पेड़ की आरती करें। गुरूवार के व्रत में दिन में एक समय ही भोजन करें। बृहस्पति मंत्र ऊँ बृं बृहस्पते नम: का जप करें और बृहस्पति की भी आरती करें। शाम के समय भी बृहस्पतिवार की कथा सुननी चाहिए और बिना नमक का भोजन करना चाहिए।