Shardiya Navratri 2023: इस विधि से आज करें मां शैलपुत्री की पूजा, घर आएगी सुख-समृद्धि और खुशहाली
मां बेहद दयालु और कृपालु हैं। मां के मुखमंडल पर कांतिमय तेज झलकती है। इस कांतिमय तेज से समस्त जगत का कल्याण होता है। मां शैलपुत्री दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प धारण कर रखी हैं। मां की सवारी वृषभ है। मां अपने भक्तों का उद्धार और दुष्टों का संहार करती हैं। मां की भक्ति करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 15 Oct 2023 09:00 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Shardiya Navratri 2023: सनातन धर्म में हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। तदनुसार, आज से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है। यह दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है। आसान शब्दों में कहें तो नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताएं हैं कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है। साधक श्रद्धा भाव से कृपालु और दयालु मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना करते हैं। अगर आप भी मां शैलपुत्री का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो इस विधि से जगत जननी आदिशक्ति मां जगदंबा की प्रथम शक्ति स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा करें।
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मां का स्वरूप
मां शैलपुत्री ममता की सागर हैं। मां बेहद दयालु और कृपालु हैं। मां के मुखमंडल पर कांतिमय तेज झलकती है। इस कांतिमय तेज से समस्त जगत का कल्याण होता है। मां शैलपुत्री दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प धारण कर रखी हैं। मां की सवारी वृषभ है। मां अपने भक्तों का उद्धार और दुष्टों का संहार करती हैं। मां की भक्ति करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
शुभ मुहूर्त
ज्योतिष पंचांग के अनुसार, आज सुबह 10 बजकर 12 मिनट तक घटस्थापना हेतु शुभ मुहूर्त है। इस दौरान घटस्थापना कर जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की प्रथम शक्ति स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा कर सकते हैं। इसके पश्चात, अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 44 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक है। इस अवधि में भी घटस्थापना कर मां की पूजा कर सकते हैं।पूजा विधि
आज दैनिक कार्यों से निवृत होने के पश्चात गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें। इस समय आचमन कर व्रत संकल्प लें। इसके पश्चात, लाल रंग का वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। पूजा गृह में चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर मां की प्रतिमा या चित्र और कलश स्थापित करें। अब मां का आह्वान निम्न मंत्रों से करें-
1. वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥2. या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥अब मां शैलपुत्री की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, पान, सुपारी, हल्दी, चंदन, लौंग, नारियल, अखंडित चावल, तिल, जौ आदि से करें। मां शैलपुत्री को लाल रंग अति प्रिय है। अतः मां को सफेद रंग का पुष्प और फल अवश्य अर्पित करें। साथ ही सफेद रंग की मिठाई अर्पित करें। पूजा के समय दुर्गा चालीसा का पाठ, मंत्र जाप और आरती करें। अंत में सुख, समृद्धि और आय में वृद्धि की कामना करें। दिन भर व्रत रखें। शाम में आरती-अर्चना करने के बाद फलाहार कर सकते हैं।
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